वर्ष 2014 के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा।कंचन चौधरी भट्टाचार्य, किरण बेदी के बाद देश की दूसरी महिला आईपीएस अधिकारी थीं।
देहरादून / हरिद्वार । देश की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने कुछ कर गुजरने के जज्बे और सिस्टम को सुधारने के वादे के साथ वर्ष 2014 के आम चुनाव में हरिद्वार लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई थी लेकिन जीत तो दूर वो टॉप थ्री में भी नहीं आ पाईं थीं। भले ही वो चुनाव हार गई थीं, लेकिन उनकी मौजूदगी के चलते हरिद्वार लोकसभा सीट देशभर में सुर्खियों में रही थी।
आपको बता दे कि उत्तराखंड और देश की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य का सोमवार देर रात निधन हो गया। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने इसकी पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि वे लंबे समय से बीमार थीं। उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। 1973 बैच की महिला आईपीएस अफसर कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने वर्ष 2004 में उस वक्त इतिहास रचा था जब वह उत्तराखंड की पुलिस महानिदेशक बनीं। 31 अक्टूबर 2007 को वे पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुईं।
उनका पुलिस सेवा का पूरा करियर शानदार रहा। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया। उन्होंने वर्ष 2014 के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा। कंचन चौधरी भट्टाचार्य, किरण बेदी के बाद देश की दूसरी महिला आईपीएस अधिकारी थीं। साल 2014 में जब वे हरिद्वार से आम आदमी पार्टी से जुड़ीं तो उनका कहना था कि देश में फैले भ्रष्टाचार, नेताओं के घोटाले और आम आदमी की पीड़ा को देखते हुए राजनीति में आने का फैसला लिया। पुलिस के पास पावर तो है, लेकिन खादी वाले उसे प्रयोग नहीं करने देते।
इस सीट पर भाजपा के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत के मैदान में होने के साथ-साथ बसपा के मोहम्मद हाजी इस्लाम की मौजूदगी ने पहले ही लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया था।
बीजेपी नेता रमेश पोखरियाल ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर 5 लाख 92 हजार 320 वोटों की मदद से जीत प्राप्त की थी। कांग्रेस की प्रत्याशी रेणुका रावत 4 लाख 14 हजार 498 वोट पाकर इस चुनाव में दूसरे नंबर पर रहीं। वहीं, बसपा के उम्मीदवार हाजी मोहम्मद इस्लाम 1 लाख 13 हजार 663 वोट और आप पार्टी की कैंडिडेट कंचन चौधरी को 18 हजार 170 वोट ही नसीब हुए थे।
यदि पुलिस को उनकी पावर दे दी जाए तो वह और बेहतर काम कर सकती है। इसी व्यवस्था ने मेरे मन को शांत नहीं रहने दिया।इसलिए मैं राजनीति में आई हूं। उनका कहना था कि हरिद्वार से उनका खून का रिश्ता था। उनके नाना मुकंदलाल शाह हरिद्वार निवासी थे। उनके नाना समाजसेवी थे और कई आश्रमों और ट्रस्टों को जमीन दान में दी।
कंचन चौधरी भट्टाचार्य राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री को अपना आदर्श मानती थीं। उन्होंने कहा था कि लीडर का मतलब पालक होता है। उसकी तुलना मां से भी की जाती है। लीडर में निर्णय लेने की तीव्र क्षमता, सर्वत्यागी, निस्वार्थ भावना से प्रेरित, दृढ़ इच्छा शक्ति, सर्वगुण संपन्न का होना चाहिए। ताकि जनता की समस्याओं को उठा सके। लीडर को कभी अहंकार में नहीं रहना चाहिए।
उन्होंने राजकीय महिला महाविद्यालय, अमृतसर से पढ़ाई पूरी की। वहीं, पोस्ट-स्नातक स्तर की पढ़ाई अंग्रेजी साहित्य में दिल्ली-यूनिवर्सिटी से की है। इनके जीवन से प्रेरणा लेकर दूरदर्शन पर एक सीरियल ‘उड़ान’ भी प्रसारित हो चुका है।
उन्हें मेक्सिको में 2004 में आयोजित इंटरपोल की बैठक में भारत की और से प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित किया गया था। 1997 में प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए उन्हें ‘राष्ट्रपति पदक’ भी मिल चुका है।
आप के शीर्ष नेतृत्व में उत्तराखंड से पहली महिला डीजीपी और उच्च वर्ग और महिलाओं के बीच खासी सक्रिय रहीं कंचन को उतारकर एक तरह से सबको चौंका दिया था। आप से उनके नाम की घोषणा होते ही वो केंद्र की राजनीति में खासी चर्चाओं में आ गई थीं। लेकिन चुनाव का अनुभव न होना और चुनाव में उनके पक्ष में मेहनत करने के लिए आम आदमी पार्टी का सांगठनिक ढांचा नहीं होना उनकी बड़ी कमजोरी के रूप में सामने आया।
हालांकि यह साफ ही था कि कंचन अपनी दावेदारी को जीत में तब्दील नहीं कर पाएंगी, लेकिन फिर भी लोगों की नजर इस बात पर थी कि हरिद्वार लोकसभा सीट की जनता उन्हें कितना पसंद करेगी और वो कितने वोट खींच पाएंगी। परिणाम आया तो जैसा कि पहले से ही अंदाजा था, कंचन चौधरी भट्टाचार्य चौथे नंबर पर रहीं।
(फोटो साभार -गूगल )
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