* गंगा के 200 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण कार्य न किए जाने का आदेश जारी किया था।
* ताजा मामला ऋषिकेश स्थित साईं मंदिर के पास आस्था पथ का है।
ऋषिकेश। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए किए जा रहे लाख दावे खोखले साबित हो रहे हैं। तीर्थनगरी ऋषिकेश में एनजीटी के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए गंगा किनारे बेखौफ बिल्डर लगातार बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कर रहे हैं।इतना ही नहीं एमडीडीए के साथ - साथ कुम्भ मेला प्रशासन भी आंख मूंदे बैठा है।
दरअसल गंगा के किनारे होने वाले निर्माण पर एनजीटी ने सख्ती दिखाते हुए गंगा के 200 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण कार्य न किए जाने का आदेश जारी किया था, लेकिन एनजीटी के आदेश के बावजूद भी गंगा के किनारे लगातार निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी है। ताजा मामला ऋषिकेश स्थित साईं मंदिर के पास आस्था पथ का है जहां गंगा किनारे धड़ल्ले से बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया जा रहा है।
बिल्डर सभी नियम कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए निर्माण कार्य कर रहे हैं। दरअसल यह पहला मामला नहीं है। गंगा के किनारे कौड़ियाला से लेकर हरिपुर कला तक सैकड़ों निर्माण गंगा के 200 मीटर के दायरे में किए जा रहे हैं। वहीं प्रशासन बिल्डरों पर नकेल कसने में नाकाम साबित हो रहा है। गंगा के किनारे निर्माण को लेकर लगातार एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है। वहीं जब इस मामले को लेकर एमडीडीए अधिशासी अभियंता श्याम मोहन शर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि साईं मंदिर के पास का एक मामला उनकी संज्ञान में आया था जिसके बाद उसका चालान किया गया है।
जल्द ही बिल्डिंग को सील किया जाएगा। अब देखना यह होगा कि विभाग के अधिकारी कब तक कार्रवाई कर निर्माण करने वालों पर नकेल कसते हैं।जबकि इसकी जितनी जिम्मेदारी एमडीडीए की है उतनी ही शायद कुम्भ मेला प्रशासन की भी होनी चाहिए ,परन्तु जब इस संबन्ध में जब मेलाधिकारी दीपक रावत के अनुसार मेला प्रशासन चूँकि रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं है इसलिए ऐसे कार्यो के लिए उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। फिर भी मामला संज्ञान में आया है तो उसे दिखवाया जरूर जायेगा।
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