◇मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा मा. हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई हुई है रोक।
◇हजारों कर्मचारियों के भविष्य का है मामला।
◇सरकार सकारात्मक पहल कर युवाओं का भविष्य कर सकती है सुरक्षित।
विकासनगर -मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा की प्रदेश के भिन्न-भिन्न में विभागों में उपनल के माध्यम से प्रायोजित/ कार्योजित 20911 कर्मचारियों को मानकों के तहत नियमित करने, न्यूनतम पे- स्केल व अन्य लाभ तथा जीएसटी- सर्विस टैक्स न काटने के आदेश मा. उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका संख्या 116/ 2018 में दिनांक 12-11-18 के द्वारा सरकार को निर्देश दिए थे, जिसके विरुद्ध सरकार मा. सुप्रीम कोर्ट में (एसएलपी) चली गई।
उक्त मामले में मा. सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 01/02 /19 को मा. उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी तथा नोटिस जारी किए। नेगी ने कहा कि पूर्व में, जब युवाओं को उपनल के माध्यम से प्रायोजित / कार्योजित किया गया, उस समय, सरकार अगर सही तरीके से मानकों एवं पदों के सापेक्ष युवाओं को प्रायोजित करती तो ये दिन नहीं देखने पड़ते। सरकार अब नियमों और मानकों की बात कर रही है, जबकि ये वर्तमान एवं पूर्व सरकारों की भारी गलती है।
चूकि, अब मामला युवाओं के भविष्य का है तथा कई- कई वर्षों तक सेवा देने के उपरांत हजारों युवा अब ओवरएज के पड़ाव पर हैं तथा हजारों युवा ओवरेज हो चुके हैं, ऐसे में वो जाएं तो जाएं कहां ! हैरानी की बात यह है कि सरकारें जन समस्याएं के निराकरण के लिए होती हैं, लेकिन यहां सरकार ही मामले को सुलझाने के बजाय उलझाने में लगी है। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि कोई सकारात्मक रास्ता अख्तियार कर युवाओं के भविष्य के बारे में सोचे। पत्रकार वार्ता में- मोर्चा महासचिव आकाश पवार, दिलबाग सिंह, सोम देशप्रेमी ,सुशील भारद्वाज आदि थे
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