गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय को मिली 27 पोस्ट की सौगात
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार | सर्वविदित है कि गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय भारत के ब्रिटिश काल के प्राचीन विश्वविद्यालयों मे से एक है और इसकी स्थापना 1902 मे अमर हुतात्मा स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के प्रिय शिष्य ,शिक्षाविद एवं स्वतंत्रता सेनानी स्वामी श्रद्धानन्द जी महाराज जी ने मैकाले शिक्षा प्रणाली के खिलाफ पुरातन भारतीय शिक्षा प्रणाली (गुरुकुल) के संवर्धन के लिए की। जिसमें वेद वेदांग,कृषि ,आयुर्वेद,योग से लेकर आधुनिक विज्ञान विषयों को पढाया जाता रहा है।शैक्षणिक सत्र 2019-20 गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय के लिए स्वर्णिम काल जैसा सिद्ध हुआ है। इसी सत्र मे जहाँ एक ओर 19 शिक्षकों की फरवरी 2019 मे स्थायी नियुक्ति दी गयी वहीं दूसरी 28 करोड का विकास अनुदान भी प्राप्त हुआ ।
इसी हफ्ते विश्वविद्यालय को 27 स्थायी पदो की स्वीकृति प्रदान की गई ,जिसके अन्तर्गत दो सहायक कुलसचिव,एक कोच,एक डिप्टी रजिस्ट्रार,मैनेजर गैस्ट हाउस,एक सहायक एवं एक यू.डी सी एवं जूनियर विद्युत अभियन्ता एवं 19 शिक्षकों के पद इसी वर्ष इकोनोमिकली विकर सेक्शन के छात्र छात्राओं को आरक्षण दिये जाने के कारण कई टीचिगं एवं नांन टीचिंग के पदो पर स्वीकृति मिलने जा रही है।
कुलपति प्रो.विनोद कुमार ने सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को बधाई दी और कहा कि सभी साथियों के सामूहिक प्रयासों से विश्वविद्यालय तेज गति आगे बढ रहा है।
कुलसचिव प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया की कुलपति जी कई महीनों से यूजीसी के अधिकारियों से अनवरत वार्ता करते आ रहे थे और उनके सद् प्रयासों से इतने पदो का आना संभव हो सका है।
कुलसचिव ने बताया कि सुन्दर शैक्षणिक माहौल के कारण कई शिक्षक जून/जौलाई मे ब्रिटेन, जर्मनी एवं फ्रांस मे विशिष्ट व्याख्यान, सत्र की अध्यक्षता एवं शोध प्रयोगशालाओं मे वैज्ञानिकों के रुप मे जा रहे है मुख्य नाम है प्रोफेसर रूपकिशोर शास्त्री , प्रोफेसर एस पी सिंह , प्रोफेसर एल.पी पुरोहित,प्रोफेसर दिनेश भट्ट, डा. हेमवती नन्दन इत्यादि।
विश्वविद्यालय मे छात्रों के अध्ययन के लिए अनेक भवनों एवं स्मार्ट क्लासरुमस के अलावा पन्द्रह प्याऊ स्थलों निर्माण कराया जा रहा है जिसमे निर्मल एवं शीतल जल की व्यवस्था की गयी है। बी टेक मे ए. आई. सी. टी. ई. से प्राप्त 3 करोड़ की ग्रांट से हास्टल निर्माण कराया जा रहा है।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार | सर्वविदित है कि गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय भारत के ब्रिटिश काल के प्राचीन विश्वविद्यालयों मे से एक है और इसकी स्थापना 1902 मे अमर हुतात्मा स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के प्रिय शिष्य ,शिक्षाविद एवं स्वतंत्रता सेनानी स्वामी श्रद्धानन्द जी महाराज जी ने मैकाले शिक्षा प्रणाली के खिलाफ पुरातन भारतीय शिक्षा प्रणाली (गुरुकुल) के संवर्धन के लिए की। जिसमें वेद वेदांग,कृषि ,आयुर्वेद,योग से लेकर आधुनिक विज्ञान विषयों को पढाया जाता रहा है।शैक्षणिक सत्र 2019-20 गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय के लिए स्वर्णिम काल जैसा सिद्ध हुआ है। इसी सत्र मे जहाँ एक ओर 19 शिक्षकों की फरवरी 2019 मे स्थायी नियुक्ति दी गयी वहीं दूसरी 28 करोड का विकास अनुदान भी प्राप्त हुआ ।
इसी हफ्ते विश्वविद्यालय को 27 स्थायी पदो की स्वीकृति प्रदान की गई ,जिसके अन्तर्गत दो सहायक कुलसचिव,एक कोच,एक डिप्टी रजिस्ट्रार,मैनेजर गैस्ट हाउस,एक सहायक एवं एक यू.डी सी एवं जूनियर विद्युत अभियन्ता एवं 19 शिक्षकों के पद इसी वर्ष इकोनोमिकली विकर सेक्शन के छात्र छात्राओं को आरक्षण दिये जाने के कारण कई टीचिगं एवं नांन टीचिंग के पदो पर स्वीकृति मिलने जा रही है।
कुलपति प्रो.विनोद कुमार ने सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को बधाई दी और कहा कि सभी साथियों के सामूहिक प्रयासों से विश्वविद्यालय तेज गति आगे बढ रहा है।
कुलसचिव प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया की कुलपति जी कई महीनों से यूजीसी के अधिकारियों से अनवरत वार्ता करते आ रहे थे और उनके सद् प्रयासों से इतने पदो का आना संभव हो सका है।
कुलसचिव ने बताया कि सुन्दर शैक्षणिक माहौल के कारण कई शिक्षक जून/जौलाई मे ब्रिटेन, जर्मनी एवं फ्रांस मे विशिष्ट व्याख्यान, सत्र की अध्यक्षता एवं शोध प्रयोगशालाओं मे वैज्ञानिकों के रुप मे जा रहे है मुख्य नाम है प्रोफेसर रूपकिशोर शास्त्री , प्रोफेसर एस पी सिंह , प्रोफेसर एल.पी पुरोहित,प्रोफेसर दिनेश भट्ट, डा. हेमवती नन्दन इत्यादि।
विश्वविद्यालय मे छात्रों के अध्ययन के लिए अनेक भवनों एवं स्मार्ट क्लासरुमस के अलावा पन्द्रह प्याऊ स्थलों निर्माण कराया जा रहा है जिसमे निर्मल एवं शीतल जल की व्यवस्था की गयी है। बी टेक मे ए. आई. सी. टी. ई. से प्राप्त 3 करोड़ की ग्रांट से हास्टल निर्माण कराया जा रहा है।
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