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Wednesday, 19 June 2019

तो क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शब्दों से ओम बिड़ला की राजनीति का ग्राफ बढ़ा दिया ?

कोटा की तुलना काशी से की। कुर्सी पर बैठने के बाद बिड़ला ने भी तारीफ की। चुनौती भी खूब।
(एस.पी.मित्तल)
नई दिल्ली । 19 जून को राजस्थान के कोटा के भाजपा सांसद ओम बिड़ला लोकसभा के अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान हो गए। कांगे्रस सहित अधिकांश विपक्षी दलों ने भी बिड़ला का समर्थन किया। 23 मई को जब बिड़ला कोटा से दूसरी बार सांसद चुने गए, तब सपने में भी नहीं सोचा था कि संसद में एक दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनकी शान में कसीदें पढ़ेंगे। 19 जून को अब बिड़ला सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुन लिए गए, तब प्रधानमंत्री मोदी स्वयं बिड़ला की सीट तक गए और पूरे सम्मान के साथ बिड़ला को अध्यक्ष की कुर्सी तक ले गए। इस मौके पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि बिड़ला का चयन राजनीतिक ग्राफ की वजह से नहीं बल्कि जनसेवा की वजह से किया गया है। आमतौर पर यह माना जाता है कि संसदीय अनुभव वाले व्यक्ति को अध्यक्ष बनाया जाएगा। भाजपा में ऐसे कई सांसद हैं जो पांच बार से ज्यादा बार सांसद है। चूंकि दो बार के सांसद बिड़ला को भाजपा का उम्मीदवार बना कर लोकसभा  का अध्यक्ष बनाया इसलिए मोदी ने कहा कि बिड़ला ने मेरे साथ संगठन में काम किया है और मैंने बिड़ला को गुजरात में भूकंप तथा केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा के समय जन सेवा करते देखा है। इतना ही नहीं बिड़ला अपने संसदीय क्षेत्र कोटा में भी भूखों को नि:शुल्क भोजन, कपड़ा आदि की सुविधा उपलब्ध करवाते हैं। कोटा में चल रहे कोचिंग सेंटरों का श्रेय भी मोदी ने बिड़ला को दे दिया। उन्होंने कहा कि आज देश के युवा अपना भविष्य निखारने के लिए कोटा ही जाते हैं।  मोदी ने कोटा को शिक्षा की काशी तक कह दिया। मोदी ने जिस अंदाज में बिड़ला की प्रशंसा की उससे खुद बिड़ला को आश्चर्य हो रहा था। स्वयं में कितनी खूबियों के बारे में तो बिड़ला को भी पता नहीं था। जो लोग बिड़ला को राजनीतिक दृष्टि से कम आंक रहे थे उनके सामने मोदी ने बिड़ला की बड़ी लकीर खींच दी। मोदी ने एक ही झटके में बिड़ला को राष्ट्रीय स्तर का नेता बना दिया। आलोचक अब चाहे जो भी कहें, लेकिन मोदी ने संसद में अपनी पकड़ और मजबूत की है।
प्रधानमंत्री का जताया आभार:
भाजपा का उम्मीदवार बनाने पर बिड़ला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया। लोकसभा अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद बिड़ला ने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने गत पांच वर्ष में देश में विकास के जो कार्य किए, उसी का परिणाम है कि जनता ने दोबारा से पूर्ण बहुमत के साथ समर्थन देने के लिए सभी राजनीतिक दलों का भी आभार जताया।
चुनौती भी :
नवनिर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला के समक्ष संसद को चलाने की चुनौती भी है। सांसदों के शपथ ग्रहण के समय देखा गया कि अनेक सांसदों ने जयश्रीराम के नारे लगाए तो दूसरे ओर कुछ ने अल्ला हू अकबर के नारे लगाए। समाजवादी पार्टी के सांसद ने तो साफ कह दिया कि वे वंदेमारतम नहीं कहेंगे, क्योंकि यह इस्लाम के विरुद्ध है, जबकि 19 जून को बिड़ला ने अपने भाषण की समाप्ति वंदेमारतम के संबोधन से की। दो दिनों तक लोकसभा में धर्म के आधार पर माहौल देखने को मिला। संभवत: यह पहला अवसर रहा जब संसद में इस तरह का माहौल देखा गया। देखना होगा कि ओम बिड़ला इन परिस्थितियों से किस प्रकार मुकाबला करते हैं।

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