सैलानियों से वसूला जा रहा मनमाना पार्किंग शुल्क
-मसूरी में ठेकेदारों पर शिकंजा कसने मेें स्थानीय प्रशासन नाकाम
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान)
मसूरी। इस पर्यटन सीजन में मसूरी में बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं। लेकिन पर्यटकों से पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली की शिकायतें भी सामने आ रही हैं। प्रशासन की लापरवाही के चलते सैलानियों से पार्किंग के नाम पर मनमाना पार्किंग चार्ज वसूला जा रहा है।
इस पर्यटन सीजन में मसूरी में बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं। लेकिन पर्यटकों से पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली की शिकायतें भी सामने आ रही हैं। प्रशासन की लापरवाही के चलते सैलानियों से पार्किंग के नाम पर मनमाना पार्किंग चार्ज वसूले जा रहे हैं। शहर के गांध्ी चैक स्थित एमडीडीए पार्किंग, कैंपटी पार्किंग के अलावा लंढौर रोड क्षेत्र में कई पार्किंग वाले पर्यटकों से मनमाना पार्किंग शुल्क वसूल रहे हैं। पार्किंग में जाने के लिए भी सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतार लग जा रही है। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब से आए पर्यटकों ने एक पार्किंग वाले की शिकायत करते हुए कहा कि उनसे पार्किंग के नाम पर 300 रुपये लिए गए. लेकिन उन्हें पार्किंग शुल्क की रसीद नहीं दी गई। बता दें कि यहां पार्किंग चार्ज के नाम 200 रुपये का डिस्प्ले बोर्ड लगाया गया है। शहर के अधिकतर पार्किंग स्थलों पर गाड़ियों की पार्किंग शुल्क को डिस्पले नहीं किया गया है। ऐसे में पर्यटन नगरी में बड़े पैमाने पर पार्किंग के नाम पर अवैध् वसूली का ऽेल चल रहा है। बता दें कि प्रशासन द्वारा पार्किंग का कोई निर्धरित शुल्क कैंपटी में तय नहीं किया गया है। पार्किंग वाले मनमर्जी से पार्किंग शुल्क घंटों के हिसाब से पर्यटकों से ले रहे हैं। इस बारे में मसूरी के एसडीएम ने कहा कि सभी पार्किंग संचालकों को पार्किंग की रेट लिस्ट, पार्किंग में पर्यटकों के लिए सुविधएं जैसे- बिजली, पानी की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में अगर कहीं पार्किंग के नाम पर ठगी हो रही हो तो उसके ऽिलापफ कार्रवाई की जाएगी। सवाल यह भी उठ रहा है कि ठेकेदारों की मनमानी पर आखिर कब अंकुश लगेगा।
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पर्यटन सुविधाओं के सारे दावे खोखले, अव्यवस्थाओं के मारे पर्यटक बेचारे
देहरादून,। गर्मी पड़ते ही दिल्ली-एनसीआर में के लोगों को पहाड़ों की याद आने लगती है और बड़ी संख्या में लोग गाड़ियां उठाकर देहरादून-मसूरी, नैनीताल की ओर निकल पड़ते हैं। हालत यह है कि लोग 4-5 घंटे में दिल्ली से देहरादून तो पहुंच जाते हैं लेकिन वीकेंड्स में देहरादून से मसूरी पहुंचने में भी इतना ही समय लग जाता है।
यही हाल नैनीताल और सभी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों का है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या उत्तराखंड इतने सारे पर्यटकों की आमद के लिए तैयार नहीं है? क्या उत्तराखंड को पर्यटन की अपनी नीति बदलने की जरूरत है? पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि वक्त पुनर्विचार का है। स्थिति यह है कि सिर्फ बद्रीनाथ और केदारनाथ में अभी तक 18 लाख से अधिक श्रद्दालु पहुंच चुके हैं। गंगोत्री और यमनोत्री में छह लाख से अधिक लोगों की आमद दर्ज की जा चुकी है। नैनीताल-मसूरी में वीकेंड्स में इतने टूरिस्ट पहुंच जा रहे हैं कि घंटों जाम लग रहा है। देहरादून के लच्छीवाला में बने नेचर पार्क में अप्रैल से अभी तक 1,31,000 पर्यटक पहुंच चुके हैं. यहां पिछले वीकेंड पर रविवार को दस हजार टिकट बिके थे। यह कुछ उदाहरण मात्र हैं. इतनी भारी संख्या में पर्यटकों के आने की वजह से व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं.खुद मुख्यमंत्री यह बात स्वीकार कर चुके हैं। इससे उत्तराखंड आने वाले पर्यटक भी परेशान हो रहे हैं। मसूरी में स्थिति यह है कि शहर में 400 टैक्सियों समेत करीब 2500 गाड़ियां हैं जिनके लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से जाम लगता है और पर्यटक परेशान होता है। खासतौर पर वीकेंड में. यह पर्यटक उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा देता है क्योंकि हमारी जीडीपी का 30 प्रतिशत पर्यटन से मिलता हैै। जब एक टूरिस्ट आता है तो वह सिर्फ होटल को ही नहीं पटरी वाले को, कुली ?को, पेट्रोल पंप को और किराए-टैक्स के रूप में सरकार को भी पैसा देता है। वहीं जिस तरह से हर तरफ जाम ही जाम देखने को मिल रहा है उससे सवाल यह उठ ?रहा है कि क्या पर्यटन विभाग ने पहले से ही इस स्थिति से निपटने को लेकर कोई मंथन क्यों नहीं किया था। क्या उसका सिर्फ पर्यटन से होने वाली आय पर ही पूरा ध्यान है। इंतजाम करने में विफल हो रहे हैं।
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