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Monday, 19 August 2019

पाकिस्तान का दर्द तो समझा जा सकता है,लेकिन अपने ही देश के कुछ लोग बेवजह हालात बिगाडऩे पर तुले हैं, आखिर क्यों ? जाने

कश्मीर घाटी में प्राइमरी स्कूल भी खुले। देशद्रोहियों को करारा जवाब। 
(एस.पी.मित्तल)
जम्मू कश्मीर । 19 अगस्त को कश्मीर घाटी के अधिकांश क्षेत्रों में प्राइमरी स्कूल भी खुल गए। हजारों बच्चों ने स्कूल पहुंच आपस में खुशियां बांटी। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद यह पहला मौका रहा, जब घाटी में हालात सामान्य दिखे। इससे पहले लैंड लाइन फोन की सेवाएं भी शुरू कर दी गई थी। 
घाटी में प्रइमारी स्कूल खुलने और बच्चों की उपस्थिति दर्ज होने से देश द्रोहियों को करारा जवाब मिला है। देश में ऐसे कई लोग हैं जो अभी अनुच्छेद 370 को बनाए रखने के पक्ष में हैं। पाकिस्तान भी हाय तौबा मचा रहा है। पाकिस्तान का दर्द तो समझा जा सकता है,लेकिन अपने ही देश के कुछ लोग बेवजह हालात बिगाडऩे पर तुले हैं। 
जम्मू और लद्दाख में तो जन जीवन पूरी तरह सामान्य हो गया। अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू और लद्दाख में खुशियां मनाई जा रही है, लेकिन कश्मीर घाटी के कुछ जिलों में प्रशासन को अभी अनेक पाबंदियां लगानी पड़ रही है। यही वे इलाके हैं, जहां आतंकवाद चरम पर था। प्रशासन ने ऐसे चरमपंथियों को सख्त हिदायत दी है और अनेक चरमपंथियों को गिरफ्तार भी किया है। चूंकि अब जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश हो गया है, इसलिए सारे कानून केन्द्र सरकार के लागू हो रहे हैं। 
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला जैसे नेता पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। इन नेताओं की वजह से माहौल ज्यादा बिगड़ता था। अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को भी समर्थन नहीं मिल रहा है। मुस्लिम देशों ने भी साफ कह दिया है कि कश्मीर का मुद्दा भारत का आतंरिक मामला है। 
असल में पाकिस्तान और उसके समर्थकों को उम्मीद थी कि कश्मीर घाटी में हालात बिगड़ेंगे, लेकिन पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद एक पखवाड़ा गुजर गया, लेकिन सुरक्षा बलों को कहीं भी गोली चलाने की जरूरत नहीं पड़ी। पाकिस्तान और देशद्रोहियों की ओर से सोशल मीडिया पर हिंसा के जो वीडियो पोस्ट किए जा रहे हैं वो पुराने हैं। पांच अगस्त के बाद किसी भी स्थान पर हिंसा नहीं हुई है। 

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