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Thursday, 22 August 2019

त्रिदेवो ने आखिर क्यों कहा जय हो भारत, जैविक भारत ?जाने

*स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, योगगुरू स्वामी रामदेव महाराज और आचार्य बालकृष्ण की हुई भेंटवार्ता
*लोक कलाकारों की कला को पोषित करने, जैविक खेती, कुपोषण, वेदशाला और योग पर हुई विशेष चर्चा
*जैविक खाये और जीवंत बने रहे-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
*लोक कला को जिंदा रखना नितांत आवश्यक-स्वामी रामदेव   

(ज्ञान प्रकाश पाण्डेय )
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, योगगुरू स्वामी रामदेव महाराज, आचार्य बालकृष्ण , साबरमती आश्रम के व्यवस्थापक जयेश भाई, गुजरात राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल की सुपुत्री श्रीमती अनार बेन की विशेष भेंटवार्ता हुई।
 चर्चा के दौरान देश में व्याप्त विभिन्न मुद्दांेे पर चर्चा के साथ जैविक खेती, लोक कला और लोक कलाकारों की प्रतिभा को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर लाना, योग, वेदशाला जैसे अनेक विषयों पर ऐतिहासिक चर्चा हुई।
  स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि ’’भारत की संस्कृति और कला अद्भुत है। आज भी पूरे भारत में लोक कलाकारों ने अपनी कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति, संस्कार, इतिहास और कला को संजो कर रखा है। इसके माध्यम से हम उस क्षेत्र की सामूहिक मंगल भावनाओं को आत्मसात कर सकते है। यह एक व्यापक विषय है, जिसका सम्बंध जीवन के विविध आयामों से है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि आज के परिदृश्य में संचार के माध्यम तो बढ़े हैं परन्तु कहीं न कहीं हम हमारी लोक संस्कृति को खो रहे हंै, जबकि लोक संस्कृति के माध्यम से हम आसानी से अपने संस्कारों को जिंदा रख सकते हंै और आगे आने वाली पीढ़ियों में उन संस्कारों को स्थापित कर सकते हैं। आज पूरे भारत में लोक कलाकार अपनी कला को जिंदा रखने के लिये और दूर तक पहुंचाने की प्रतीक्षा में रहते हैं। उन कलाकरों के पास कला तो है परन्तु उसे लोगों तक पहुंचाने के लिये कई बार उन्हें मंच प्राप्त नहीं होता वे कई स्तरों पर कार्य करते हंै, पर उनकी पहुंच अपने क्षेत्रों तक भी नहीं होती।
 स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने जैविक खेती के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि जैविक इन्डिया, जय हो इण्डिया। जैसा खायेे अन्न, वैसा बने मन। अतः जैविक खायंे और जीवंत बने रहंे। जैविक वस्तुओं में पोषण की गुणवत्ता अधिक होती है। उत्तराखण्ड में अनेक तरह के अनाज और दाले होती हंै, मुझे तो लगता है कि यहां के शुद्ध वातावरण और स्वच्छ जल का प्रभाव भी यहां के अनाज पर भी पड़ता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने बताया कि दुनिया के समृद्ध देशों में शुमार भारत, सन 1947 के बाद से अब तक कुपोषण की समस्या से नहीं उबर पा रहा है। विश्व खाद्य संगठन की रिपोर्ट के आधार पर हर सांतवा व्यक्ति भूखा सोता है। विश्व भूख सूचंकाक मंे भारत का 67 वां स्थान है। देश में हर साल 25Û1 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होता है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार देश में 38Û4 प्रतिशत बच्चे कम ग्रोथ के शिकार है जो निश्चित ही चिंतन का विषय है।
 सन 1991 से अब तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में तीव्र गति से वृद्धि की लेकिन देश मेेें कुपोषण की स्थिति मंे अभी भी सुधार लाने की आवश्यकता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के आधार पर भारत में दुनिया के 1/3 से ज्यादा कुपोषित बच्चे है। वर्ष 2017 के ग्लोबल हंगर इण्डेक्स से भी स्पष्ट होता है कि भारत 118 देशों में 97 वें स्थान पर है। हाल ही मंे हुये सर्वे के आधार पर देश भर के 170 कुपोषित जिलों की सूची में उत्तराखण्ड राज्य के चार जिलों का नाम शामिल है। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022 तक देश को कुपोषण मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है, अतः इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये सरकार के साथ जन समुदाय की सहभागिता भी अतीव आवश्यक है, और जैविक खेती को बढ़ावा देना नितांत आवश्यक है।
योगगुरू स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि लोक कला को जिंदा रखना नितांत आवश्यक है, क्योकि इसके माध्यम से लोक कलाकार प्रकृति के हृदय को गुनगुनाता है।
इस अवसर पर वाई पी ंिसंह जी, यतिन पण्डया जी, देवांग भाई, सुहास, किशन , सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, आचार्य दीपक शर्मा ने इस विशेष वार्ता में सहभाग किया।

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