* एमडीएमके नेता वाइको ने अपने करीबी दोस्त और नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी।जिस पर आज (सोमवार को) सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि फारूक अब्दुल्ला पर PSA एक्ट लगाया गया है। जिसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। (ब्यूरो, न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान)
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. हाल ही में अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया था . इससे पहले तक फारूक 4 अगस्त से नजरबंद थे। पीएसए एक्ट लगने के बाद अब फारूक अब्दुल्ला जहां भी रहेंगे वह अस्थाई जेल होगी।
एमडीएमके नेता वाइको ने अपने करीबी दोस्त और नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। इसपर आज (सोमवार को ) जैसे ही सुनवाई शुरू हुई कि इसी दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि फारूक अब्दुल्ला पर PSA एक्ट लगाया गया है। इसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद वाइको ने इस याचिका में फारूक अब्दुल्ला को कोर्ट के सामने पेश करने की गुजारिश की थी। लेकिन, चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई, जस्टिस बोबडे और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि पीएसए एक्ट के तहत डिटेंशन ऑर्डर जारी होने के बाद इस याचिका में विचार करने के लिए और कुछ नहीं रह गया है।
आपको बता दें सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम या पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत प्रावधान है कि इसमें बिना कोई मुकदमा चलाए किसी भी शख्स को दो साल तक के लिए हिरासत में लिया जा सकता है। अब खबर है कि यही पीएसए राज्य के कई सारे लोगों पर लगाया जा सकता है।
एमडीएमके नेता वाइको ने अपने करीबी दोस्त और नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। इसपर आज (सोमवार को ) जैसे ही सुनवाई शुरू हुई कि इसी दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि फारूक अब्दुल्ला पर PSA एक्ट लगाया गया है। इसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद वाइको ने इस याचिका में फारूक अब्दुल्ला को कोर्ट के सामने पेश करने की गुजारिश की थी। लेकिन, चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई, जस्टिस बोबडे और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि पीएसए एक्ट के तहत डिटेंशन ऑर्डर जारी होने के बाद इस याचिका में विचार करने के लिए और कुछ नहीं रह गया है।
आपको बता दें सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम या पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत प्रावधान है कि इसमें बिना कोई मुकदमा चलाए किसी भी शख्स को दो साल तक के लिए हिरासत में लिया जा सकता है। अब खबर है कि यही पीएसए राज्य के कई सारे लोगों पर लगाया जा सकता है।
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