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Wednesday, 11 December 2019

कैग की रिपोर्ट में उत्तराखंड राज्य की वित्तीय सेहत के अत्यन्त खराब होने की बात कही गयी है। आखिर रिपोर्ट में क्या कहा गया ? जाने

* सदन के पटल पर रखी गई कैग की रिपोर्ट, रिपोर्ट में कई अनियमिताएं उजागर 
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून । उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को सरकार द्वारा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गई। कैग की रिपोर्ट में राज्य की वित्तीय सेहत के अत्यन्त खराब होने की बात कही गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो सरकार को आने वाले समय में लिए गये कर्ज का ब्याज तक चुकाना मुश्किल हो जायेगा। रिपोर्ट में घटती राजस्व प्राप्तियों व बढ़ते वित्तीय घाटे पर चिंता जताते हुए कहा गया है कि यह स्थिति राज्य के भविष्य के लिए कतई अच्छी नहीं है। कैग की रिपोर्ट में कई वित्तीय अनियमिताएं उजागर की गई हैं। वृद्धावस्था पेंशन के लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया विभिन्न कमियों से भरी थी। पेंशन डेटाबेस में इनपुट व वैलिडेशन कंट्रोल की कमी थी। जिससे 614 लाभार्थियों को 0.17 करोड़ के अधिक भुगतान के प्रकरण थे, मृत व्यक्तियों को 0.10 करोड़ का वितरण किया गया, अपात्र व्यक्तियों को 4.18 करोड़ का वितरण किया गया और 85 लाभार्थियों को 0.21 करोड़ का दोहरा भुगतान किया गया।
सरकार के सर पर 50 हजार करोड़ से अधिक का ऋण है जिसे चुकाने के लिए उसे हर साल 4 हजार 4 करोड़ रूपये चुकाने होगें। कैग की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि लगातार बढ़ते वित्तीय घाटे और घटती राजस्व प्राप्तियों के कारण राज्य की वित्तीय सेहत दिनों दिन खराब होती जा रही है। अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है तो आने वाले समय में सरकार को उस ऋण का ब्याज चुकाना भी मुश्किल हो जायेगा। कैग की रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबन्धन पर गम्भीर सवाल उठाये गये है तथा राज्य सरकार को अपनी आय के संसाधन बढ़ाने व खर्चे घटाने की हिदायत दी गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की अनुपातिक आय में लगातार कमी हो रही है जबकि खर्चो में वृद्धि हो रही है। बैकिंग प्रबन्धन पर भी कैग द्वारा सवाल उठाये गये है साथ ही यह भी कहा गया है कि कई विभागों द्वारा कैग को आंकड़े उपलब्ध नहीं कराये गये है। कैग की रिपोर्ट में जो कमियां इंगित की गई हैं उनमें उच्च शिक्षा विभाग से संबंद्ध राजकीय महाविद्यालय डाकपत्थर द्वारा 2.59 करोड़ के व्ययोपरांत अनुसूूचित जाति/जनजाति की छात्राओं के लिए निर्मित छात्रावास की सुरक्षा एवं कर्मचारियों की कमी के कारण उपयोग नहीं किया जा सका और छात्रावास भवन जनवरी 2015 से अनुपयोगी पड़ा रहा। 
गृह विभाग से संबद्ध वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों/पुलिस अधीक्षकों द्वारा निर्धारित दर पर प्रशमन शुल्क की वसूली न किए जाने के कारण 3.17 करोड़ की राजस्व हानि हुई। सब्सिडी दिए जाने की शर्तों के उल्लंघन के प्रकरण में वसूली का प्रावधान है लेकिन उ़द्योग विभाग तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी एक दोषी औद्योगिक इकाई से 49.56 लाख की वसूली करने में विफल रहा। अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड रूद्रप्रयाग द्वारा पाइपों की अधिप्राप्ति पर 2.42 करोड़ का निष्क्रिय व्यय किया गया जो कि खुले में लावारिस पड़े हुए थे एवं प्रकृति की अनिश्चिताओं पर छोड़ दिए गए थे। इसके अतिरिक्त परियोजना के अन्य घटकों पर 46.31 लाख का निष्फल व्यय किया गया। इसके अलावा चार वर्ष व्ययतीत होने के बाद भी परियोजना के इच्छित उददेश्यों को प्राप्त नहीं किया गया। चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग चिकित्सकों से करार भंग होने के कारण 18 करोड़ की क्षतिपूर्ति को वसूल करने में असफल रहा। 
दोषियों के विरूद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई, जिससे राज्य के दूरस्थ क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने का उददेश्य विफल हुआ। अधिशासी अभियंता हरिद्वार द्वारा 192.69 मीट्रिक टन आधिक्य स्टील की अप्रयुक्त मात्रा के लिए 1.69 करोड़ का भुगतान किया गया, जिससे बचा जा सकता था यदि स्टील की आधिक्य मात्रा का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाता। करारोपण के संबंध में अधिशासी अभियंता ग्रामीण निर्माण प्रभाग ग्रामीण निर्माण विभाग देहरादून द्वारा वित्तीय नियमों और सरकारी आदेशों का पालन न करने के कारण सरकारी खजाने को 73.20 लाख की क्षति हुई। वृद्ध व्यक्तियों को पेंशन प्रदान करने के लिए निर्धारित नियमों का पूर्ण अनुपालन करने में समाज कल्याण विभाग सक्षम नहीं था।
 वृद्धावस्था पेंशन के लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया विभिन्न कमियों से भरी थी। पेंशन डेटाबेस में इनपुट व वैलिडेशन कंट्रोल की कमी थी। जिससे 614 लाभार्थियों को 0.17 करोड़ के अधिक भुगतान के प्रकरण थे, मृत व्यक्तियों को 0.10 करोड़ का वितरण किया गया, अपात्र व्यक्तियों को 4.18 करोड़ का वितरण किया गया और 85 लाभार्थियों को 0.21 करोड़ का दोहरा भुगतान किया गया। भारत सरकार से निधियों की कम मांग करने के कारण राज्य सरकार को 33.29 करोड़ का भार वहन करना पड़ा। अपात्र लाभार्थियों के लिए भारत सरकार से 7.25 करोड़ का अनियमित दावा किया गया। त्रैमासिक पेंशन किस्त के भुगतान में 366 दिनों तक के विलम्बित भुगान के प्रकरण थे। 34,551 लाभार्थियों को 15.25 करोड़ पेंशन एरियर का भुगान नहीं किया गया। योजना के कार्यान्वयन, अनुश्रवण और मूल्यांकन के लिए जिला स्तरीय समितियों का गठन नहीं किया गया था। शिकायत निवारण और सामाजिक लेक्षा परीक्षा के लिए तंत्र भी लागू नहीं था। 
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