* अब किसी भी थाना क्षेत्र में धारा 144 प्रभावी नहीं।
* हाल ही में हुई परीक्षा में 99 प्रतिशत कश्मीरी छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
(एस.पी.मित्तल)
जम्मू-कश्मीर। 10 दिसंबर को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद उत्पन्न हालातों पर चर्चा हुई। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर के हालात तेजी से सुधर रहे हैं। हाल ही में हुई परीक्षा में 99 प्रतिशत कश्मीरी छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। कोई 60 लाख कश्मीरियों ने सरकारी अस्पतालों में पहुंच कर अपना ईलाज करवाया।
कश्मीर के किसी भी थाना क्षेत्र में धारा 144 प्रभावी नहीं है। सड़कों पर यातायात भी सामान्य है और बाजारों में खरीददारी भी हो रही है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर कश्मीर में सामान्य स्थिति बनी हुई है। सरकार की ओर से जो तथ्य प्रस्तुत किए गए उस पर विपक्षी सांसदों ने भी एतराज नहीं किया, लेकिन कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यदि कश्मीर के हालात सामान्य है तो फिर पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं को नजरबंद क्यों कर रखा है?
एक ओर सरकार सामान्य स्थिति का दावा करती है तो दूसरी ओर राजनेताओं को अभी तक भी जेलों में बंद कर रखा है। कांगे्रस और विपक्षी दलों के नेताओं के अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों से पता चलता है कि फारूख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं के जेल में रहने से ही कश्मीर में शांति बनी हुई है। सब जानते हैं कि अनुच्छेद 370 के प्रभावी रहने पर ऐसे नेता किस तरह से बयान देते थे। इन नेताओं के बयानों से ही कश्मीर के हालात लगातार बिगड़ रहे थे। ऐसे नेता देशविरोधी बयान देने में भी हिचकते नहीं थे। श्रीनगर के लाल चौक में आए दिन पाकिस्तानी झंडा लहराया जाता था।
सुरक्षा बलों पर सरेआम पत्थर फेंके जाते थे। ऐसे नेता देशविरोधी गतिविधियों का खुलेआम समर्थन करते थे, लेकिन जब से इन नेताओं को नजरबंद किया गया है तब से कश्मीर में कोई भड़काने वाली कार्यवाही नहीं हो रही है। कानून व्यवस्था सामान्य है इसके पीछे भी नेताओं की नजरबंदी ही मानी जा रही है। कश्मीर में अब कोई भी व्यक्ति पाकिस्तान की वकालत नहीं करता है। कश्मीर के आम लोगों के भी यह समझ में आ गया है कि भारत के साथ रहने में ही फायदा है। कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है, वहां के हालात बद से बदतर बने हुए हैं। पाकिस्तान की सेना कश्मीरी मुसलमानों पर जुल्म कर रही है। कश्मीर में रह रहे मुसलमानों को अब केन्द्र सरकार की ओर से अनेक सुविधाएं मिलने लगी हैं। मालूम हो कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद जम्मू-कश्मीर को केन्द्रशासित प्रदेश बना दिया गया है, ऐसे में अब जम्मू-कश्मीर पर केन्द्र का नियंत्रण है। अब कश्मीर के लोगों को केन्द्र की सभी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है।
* हाल ही में हुई परीक्षा में 99 प्रतिशत कश्मीरी छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
(एस.पी.मित्तल)
जम्मू-कश्मीर। 10 दिसंबर को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद उत्पन्न हालातों पर चर्चा हुई। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर के हालात तेजी से सुधर रहे हैं। हाल ही में हुई परीक्षा में 99 प्रतिशत कश्मीरी छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। कोई 60 लाख कश्मीरियों ने सरकारी अस्पतालों में पहुंच कर अपना ईलाज करवाया।
एक ओर सरकार सामान्य स्थिति का दावा करती है तो दूसरी ओर राजनेताओं को अभी तक भी जेलों में बंद कर रखा है। कांगे्रस और विपक्षी दलों के नेताओं के अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों से पता चलता है कि फारूख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं के जेल में रहने से ही कश्मीर में शांति बनी हुई है। सब जानते हैं कि अनुच्छेद 370 के प्रभावी रहने पर ऐसे नेता किस तरह से बयान देते थे। इन नेताओं के बयानों से ही कश्मीर के हालात लगातार बिगड़ रहे थे। ऐसे नेता देशविरोधी बयान देने में भी हिचकते नहीं थे। श्रीनगर के लाल चौक में आए दिन पाकिस्तानी झंडा लहराया जाता था।
सुरक्षा बलों पर सरेआम पत्थर फेंके जाते थे। ऐसे नेता देशविरोधी गतिविधियों का खुलेआम समर्थन करते थे, लेकिन जब से इन नेताओं को नजरबंद किया गया है तब से कश्मीर में कोई भड़काने वाली कार्यवाही नहीं हो रही है। कानून व्यवस्था सामान्य है इसके पीछे भी नेताओं की नजरबंदी ही मानी जा रही है। कश्मीर में अब कोई भी व्यक्ति पाकिस्तान की वकालत नहीं करता है। कश्मीर के आम लोगों के भी यह समझ में आ गया है कि भारत के साथ रहने में ही फायदा है। कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है, वहां के हालात बद से बदतर बने हुए हैं। पाकिस्तान की सेना कश्मीरी मुसलमानों पर जुल्म कर रही है। कश्मीर में रह रहे मुसलमानों को अब केन्द्र सरकार की ओर से अनेक सुविधाएं मिलने लगी हैं। मालूम हो कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद जम्मू-कश्मीर को केन्द्रशासित प्रदेश बना दिया गया है, ऐसे में अब जम्मू-कश्मीर पर केन्द्र का नियंत्रण है। अब कश्मीर के लोगों को केन्द्र की सभी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है।
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