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Thursday, 9 January 2020

निर्भया कांड के दरिंदो में से एक पंहुचा सुप्रीमकोर्ट ,दायर की क्यूरेटिव पिटीशन। आखिर क्या है क्यूरेटिव पिटीशन और उसके नियम ? जाने

 क्यूरेटिव पिटीशन दोषियों को कानून की तरफ से मिलने वाला एक अधिकार है।
क्यूरेटिव पिटीशन दोषी के पास मौजूद अंतिम मौका होता है। 
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान ) 

नई दिल्ली।  निर्भया कांड के दरिंदो में से एक विनय कुमार शर्मा ने कोर्ट के फैसले के विरुद्ध दो दिन बाद गुरुवार को सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा  खटखटाया है।  दोषी विनय ने अपने कानूनी अधिकार का उपयोग करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन (सुधारात्मक याचिका) दायर की है। मालूम हो कि बीते सात जनवरी को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को डेथ वारंट जारी किया था। इसके आधार पर चारों की फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख निर्धारित की गई है।

क्या होता है क्यूरेटिव पिटीशन?
क्यूरेटिव पिटीशन दोषियों को कानून की तरफ से मिलने वाला एक अधिकार है। इस पिटीशन को तब दाखिल किया जाता है जब किसी दोषी की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है।
ऐसे में क्यूरेटिव पिटीशन दोषी के पास मौजूद अंतिम मौका होता है जिसके द्वारा वह अपने लिए निर्धारित की गई सजा में नरमी की गुहार लगा सकता या सकती है। क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी मामले में कोर्ट में सुनवाई का अंतिम चरण होता है। इसमें फैसला आने के बाद दोषी किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता नहीं ले सकता है।
क्या है क्यूरेटिव पिटीशन नियम 

याचिकाकर्ता को अपना क्यूरेटिव पिटीशन दायर करते समय यह बताना जरुरी होता है कि आखिर वह किस आधार पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहा है। क्यूरेटिव पिटीशन किसी वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा सर्टिफाइड होना भी जरुरी होता है। इसके बाद इस पिटीशन को सुप्रीमकोर्ट के तीन सीनियर मोस्ट जजों और जिन जजों ने फैसला सुनाया था उसके पास भी भेजा जाना जरुरी होता है। अगर बेंच के अधिकार इस बात की सहमति जताते है कि मामले की दोबारा सुनवाई होनी चाहिए तब क्यूरेटिव पिटीशन को दोबारा उन्ही जजों के पास भेज दिया जाता है। 

 

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