* सबसे मुश्किल है आसान भाषा में लिखना- गीतकार समीर अनजान।
* रचनात्मक व्यक्ति को सतत संवेदना के स्तर की एक ख़ास बेचैनी से गुजरना होता है।
* उन्होंने कहा ,जब तक यह बेचैनी बची रहेगी तब तक उनकी भी रचनात्मक यात्रा चलती रहेगी।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार समीर अनजान की रचनात्मक यात्रा पर केन्द्रित एक विशेष संवाद सत्र का आयोजन किया गया। इस संवाद सत्र के सूत्रधार प्रोण्श्रवण कुमार शर्मा रहें।
बॉलीवुड में अपनी संघर्ष यात्रा के बारे में बताते हुए समीर अनजान ने कहा जीवन में कुछ भी सरलता से हासिल नही होता है और दुनिया की हर उपलब्धि की अपनी यर्क तयशुदा कीमत होती है। यह पाठ उन्हें उनके पिता गीतकार अनजान ने पढ़ाया था कि जन्नत को हासिल करने के लिए मरना पड़ता है। समीर के लिए उनके पिता गीतकार अनजान ही प्रेरणा के स्रोत रहें हैं। उनसे मिली प्रेरणा और सीख के बल पर उन्होंने मुम्बई में खूब संघर्ष किया और अपनी प्रतिभा से बॉलीवुड के सर्वाधिक गीत लिखने का रिकॉर्ड भी कायम किया।
गीतकार समीर अनजान ने कहा कि चाहे कोई भी क्षेत्र हो ,जब तक आप अपने दिल की नही सुनेंगे।आपका सफल होना संदिग्ध रहेगा। फिल्म और साहित्य के रिश्तों पर बात करते हुए कहा कि विधा के तौर पर फ़िल्मी गीत भी साहित्य का अभिन्न अंग, शिल्प के तौर पर जरूर वहां अपनी कुछ सीमाएं है। परन्तु यदि गीत मनुष्य के हृदय को छूता है तो वह निश्चित रूप से मनुष्य के अंदर संवेदनशीलता को बढ़ाता हैं।
समीर अनजान ने कहा सबसे मुश्किल होता है आसान भाषा में गहरी बातें लिखना। इसलिए फिल्मों में गीत लिखना एक चुनौतिपूर्ण कार्य है। अपने गीतों पर केन्द्रित पुस्तक के बारें में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य और रचनात्मकता को संरक्षित करने के लिए उन्होंने अपने गीतों को पुस्तक के रूप में संकलित किया है। उन्होंने कहा किसी भी रचनात्मक व्यक्ति को सतत संवेदना के स्तर की एक ख़ास बेचैनी से गुजरना होता है। जब तक यह बेचैनी बची रहेगी तब तक उनकी भी रचनात्मक यात्रा चलती रहेगी।
सत्र के अन्त में उन्होंने प्रतिभागियों के कई दिलचस्प सवालों का जवाब भी दिया।
* रचनात्मक व्यक्ति को सतत संवेदना के स्तर की एक ख़ास बेचैनी से गुजरना होता है।
* उन्होंने कहा ,जब तक यह बेचैनी बची रहेगी तब तक उनकी भी रचनात्मक यात्रा चलती रहेगी।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार समीर अनजान की रचनात्मक यात्रा पर केन्द्रित एक विशेष संवाद सत्र का आयोजन किया गया। इस संवाद सत्र के सूत्रधार प्रोण्श्रवण कुमार शर्मा रहें।
बॉलीवुड में अपनी संघर्ष यात्रा के बारे में बताते हुए समीर अनजान ने कहा जीवन में कुछ भी सरलता से हासिल नही होता है और दुनिया की हर उपलब्धि की अपनी यर्क तयशुदा कीमत होती है। यह पाठ उन्हें उनके पिता गीतकार अनजान ने पढ़ाया था कि जन्नत को हासिल करने के लिए मरना पड़ता है। समीर के लिए उनके पिता गीतकार अनजान ही प्रेरणा के स्रोत रहें हैं। उनसे मिली प्रेरणा और सीख के बल पर उन्होंने मुम्बई में खूब संघर्ष किया और अपनी प्रतिभा से बॉलीवुड के सर्वाधिक गीत लिखने का रिकॉर्ड भी कायम किया।
गीतकार समीर अनजान ने कहा कि चाहे कोई भी क्षेत्र हो ,जब तक आप अपने दिल की नही सुनेंगे।आपका सफल होना संदिग्ध रहेगा। फिल्म और साहित्य के रिश्तों पर बात करते हुए कहा कि विधा के तौर पर फ़िल्मी गीत भी साहित्य का अभिन्न अंग, शिल्प के तौर पर जरूर वहां अपनी कुछ सीमाएं है। परन्तु यदि गीत मनुष्य के हृदय को छूता है तो वह निश्चित रूप से मनुष्य के अंदर संवेदनशीलता को बढ़ाता हैं।
समीर अनजान ने कहा सबसे मुश्किल होता है आसान भाषा में गहरी बातें लिखना। इसलिए फिल्मों में गीत लिखना एक चुनौतिपूर्ण कार्य है। अपने गीतों पर केन्द्रित पुस्तक के बारें में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य और रचनात्मकता को संरक्षित करने के लिए उन्होंने अपने गीतों को पुस्तक के रूप में संकलित किया है। उन्होंने कहा किसी भी रचनात्मक व्यक्ति को सतत संवेदना के स्तर की एक ख़ास बेचैनी से गुजरना होता है। जब तक यह बेचैनी बची रहेगी तब तक उनकी भी रचनात्मक यात्रा चलती रहेगी।
सत्र के अन्त में उन्होंने प्रतिभागियों के कई दिलचस्प सवालों का जवाब भी दिया।
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