* मौनी अमावस्या के दिन गया में श्राद्ध करवाकर पितृ दोष के साथ हर तरह के ऋण से मुक्ति पा सकते हैं।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार /गया। गया को जहां विष्णु की नगरी माना जाता है वही हरिद्वार को हरि का द्वार कहा जाता है। गया जहां मोक्ष की भूमि कहलाती है वही हरिद्वार जो की देव भूमि में स्थित है। जहा से देवी भूमि अर्थात भगवान की भूमि ,चारधाम की यात्रा शुरू होती है। यहां पर पितृ तर्पण, श्राद्ध करना सबसे उपयुक्त माना गया है। यहां पर श्राद्ध करने से हर तरह के ऋण से मुक्ति मिलती है। पितृ ऋण या पूर्वज ऋण के कई दुष्परिणाम होते हैं।जिसके कारण मान प्रतिष्ठा में कमी आती है। व्यक्ति कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो जाता है। गया या हरिद्वार में स्थित नारायणी शिला मंदिर में अमावस्या के दिन पितृों का श्राद्ध करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस वर्ष 24 जनवरी को मौनी अमावस्या है। यह दिन पितृ दोष निवारण के लिए उपयुक्त रहेगा। अगर आपको भी पितृ दोष की वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो मौनी अमावस्या के दिन गया में श्राद्ध करवाकर पितृ दोष के साथ हर तरह के ऋण से मुक्ति पा सकते हैं।
ऋण और उसके लक्षण- ऋण चार तरह के होते हैं,
1. मातृ ऋण- इस ऋण के कारण आप कर्ज में दब जाते हैं. घर की सुख-शांति खत्म हो जाती है। परिवार बिखर जाता है।
2.पितृ दोष- जिसको पितृ दोष लगता है उसके विवाह में परेशानी आती हैं। नौकरी छूट जाती है। परीक्षा में बार-बार असफलता हाथ लगती है।
3.केतु ऋण- केतु ऋणात्मक दोष के कारण संतान की प्राप्ति नहीं होती है। अगर संतान हो भी जाती है तो हमेशा बीमार रहती है।
4 राहु ऋण- राहु के ऋणात्मक दोष से व्यक्ति को कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं। निर्दोष होते हुए भी मुकदमे में फंस जाते हैं। या दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है।
(प्रस्तुति -पंडित मनोज त्रिपाठी ,नारायणी शिला मंदिर ,हरिद्वार -मोबाईल नंबर -9837436389 )
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