* आम आदमी पार्टी राजधानी में प्रचण्ड बहुमत सरकार बनाने के जादुईआंकड़े को भी पर कर चुकी है।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग आ चुके है। आम आदमी पार्टी राजधानी में प्रचण्ड बहुमत सरकार बनाने के जादुईआंकड़े को भी पार कर चुकी है। समाचार लिखे जाने तक (शाम 7 बजे ) आप ने 46 सीटों पर जित दर्ज कर चुकी थी। भाजपा का प्रदर्शन अमूमन पिछली बार जैसा ही दिख रहा है। तमाम संसाधन और ताकत झोकने के बाद आखिर भाजपा को क्यों हारी। आइए जानने की कोशिश कि भाजपा की हार के प्रमुख कारण क्या रहे।

3 -भड़काऊ बयान
भाजपा के प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा जैसे नेताओं के भड़काऊ बयानों ने केजरीवाल को ही फायदा पहुंचाया। आक्रामक प्रचार करने के चलते भाजपा के नेताओं ने कई बार भाषा की मर्यादा लांघी जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। शाहीन बाग को भाजपा ने चुनाव प्रचार का सबसे बड़ा मुद्दा बनाया मगर उन्हें इसका भी फायदा नहीं मिला। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की पर वे भी विफल रहे। शाहीन बाग से लेकर नागरिकता विवाद मुद्दा भी भाजपा के काम नहीं आया।
4 -मजबूत स्थानीय नेताओं की कमी
भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि पार्टी में मजबूत नेताओं की कमी रही। भाजपा प्रचार के लिए देशभर से सांसद और नेता लेकर आई, पर कोई भी नेता दिल्ली की जनता से जुड़ने में कामयाब नहीं रहा। दूसरी ओर स्थानीय नेताओं की भूमिका भी कमजोर रही। पूरे प्रचार में राष्ट्रीय नेतृत्व, स्थानीय नेतृत्व पर भारी पड़ता नजर आया। चुनावों में मजबूत स्थानीय नेताओं की कमी भाजपा की हार का बड़ा कारण रही।
5 -सीएम चेहरा नहीं
चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में आम आदमी पार्टी ने अपना सबसे बड़ा दांव चला। केजरीवाल ने खुलकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को उनके सामने अपना सीएम उम्मीदवार का चेहरा बताने के लिए ललकारा। भाजपा के पास इसका कोई जवाब नहीं था। यह भाजपा की हार का बड़ा कारण कहा जा सकता है। केजरीवाल ने अमित शाह को जनता के बीच भी खुली बहस के लिए चुनौती दी, भाजपा ने इसपर भी अपना रुख साफ नहीं किया।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग आ चुके है। आम आदमी पार्टी राजधानी में प्रचण्ड बहुमत सरकार बनाने के जादुईआंकड़े को भी पार कर चुकी है। समाचार लिखे जाने तक (शाम 7 बजे ) आप ने 46 सीटों पर जित दर्ज कर चुकी थी। भाजपा का प्रदर्शन अमूमन पिछली बार जैसा ही दिख रहा है। तमाम संसाधन और ताकत झोकने के बाद आखिर भाजपा को क्यों हारी। आइए जानने की कोशिश कि भाजपा की हार के प्रमुख कारण क्या रहे।
1 -मुफ्त बिजली-पानी
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने जनता के बीच फ्री बिजली-पानी को लेकर जो विश्वास कायम किया, भाजपा उसके इर्द गिर्द भी नजर नहीं आई। हालांकि भाजपा दिल्ली में 21 साल से सत्ता में नही है पर निगम में 15 साल से भाजपा का दबदबा है। मगर भाजपा ने किसी भी मंच से निगम में किए गए अपने कार्यों को मुद्दा नहीं बनाया। केजरीवाल सरकार का मुफ्त बिजली-पानी का तोड़ भाजपा ढूंढ़ नहीं पाई। अपने घोषणापत्र में उसने दो रुपये किलो आटे का वादा किया पर वह भी नाकाफी रहा।
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने जनता के बीच फ्री बिजली-पानी को लेकर जो विश्वास कायम किया, भाजपा उसके इर्द गिर्द भी नजर नहीं आई। हालांकि भाजपा दिल्ली में 21 साल से सत्ता में नही है पर निगम में 15 साल से भाजपा का दबदबा है। मगर भाजपा ने किसी भी मंच से निगम में किए गए अपने कार्यों को मुद्दा नहीं बनाया। केजरीवाल सरकार का मुफ्त बिजली-पानी का तोड़ भाजपा ढूंढ़ नहीं पाई। अपने घोषणापत्र में उसने दो रुपये किलो आटे का वादा किया पर वह भी नाकाफी रहा।
2 -नेगेटिव प्रचार
भाजपा का आक्रामक और नेगिटिव प्रचार खुद उसपर भारी पड़ा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लेकर दिल्ली के नेताओं ने केजरीवाल को निशाना बनाकर उनपर खूब हमले किए, केजरीवाल ने इसमें से कई आरोपों का खुलकर सामना किया। भाजपा का नेगेटिव प्रचार उसके खिलाफ गया। भाजपा ने इस चुनाव को सिर्फ आरोपों के सहारे जीतने की कोशिश की, जिसमें वह पूरी तरह विफल रही।
भाजपा का आक्रामक और नेगिटिव प्रचार खुद उसपर भारी पड़ा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लेकर दिल्ली के नेताओं ने केजरीवाल को निशाना बनाकर उनपर खूब हमले किए, केजरीवाल ने इसमें से कई आरोपों का खुलकर सामना किया। भाजपा का नेगेटिव प्रचार उसके खिलाफ गया। भाजपा ने इस चुनाव को सिर्फ आरोपों के सहारे जीतने की कोशिश की, जिसमें वह पूरी तरह विफल रही।

3 -भड़काऊ बयान
भाजपा के प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा जैसे नेताओं के भड़काऊ बयानों ने केजरीवाल को ही फायदा पहुंचाया। आक्रामक प्रचार करने के चलते भाजपा के नेताओं ने कई बार भाषा की मर्यादा लांघी जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। शाहीन बाग को भाजपा ने चुनाव प्रचार का सबसे बड़ा मुद्दा बनाया मगर उन्हें इसका भी फायदा नहीं मिला। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की पर वे भी विफल रहे। शाहीन बाग से लेकर नागरिकता विवाद मुद्दा भी भाजपा के काम नहीं आया।

4 -मजबूत स्थानीय नेताओं की कमी
भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि पार्टी में मजबूत नेताओं की कमी रही। भाजपा प्रचार के लिए देशभर से सांसद और नेता लेकर आई, पर कोई भी नेता दिल्ली की जनता से जुड़ने में कामयाब नहीं रहा। दूसरी ओर स्थानीय नेताओं की भूमिका भी कमजोर रही। पूरे प्रचार में राष्ट्रीय नेतृत्व, स्थानीय नेतृत्व पर भारी पड़ता नजर आया। चुनावों में मजबूत स्थानीय नेताओं की कमी भाजपा की हार का बड़ा कारण रही।

5 -सीएम चेहरा नहीं
चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में आम आदमी पार्टी ने अपना सबसे बड़ा दांव चला। केजरीवाल ने खुलकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को उनके सामने अपना सीएम उम्मीदवार का चेहरा बताने के लिए ललकारा। भाजपा के पास इसका कोई जवाब नहीं था। यह भाजपा की हार का बड़ा कारण कहा जा सकता है। केजरीवाल ने अमित शाह को जनता के बीच भी खुली बहस के लिए चुनौती दी, भाजपा ने इसपर भी अपना रुख साफ नहीं किया।
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