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Thursday, 20 February 2020

गैरसैंण विस बजट सत्र सैरसपाटा-हनीमून सत्र बनकर न रह जाय। आखिर ऐसा क्यों कहा विजय सारस्वत ने ? जाने

*  उत्तराखण्ड विधानसभा के बजट सत्र की अवधि मात्र चार दिन रखी गई है तथा इतने समय में विधायकों           द्वारा लगाये गये 500 प्रश्नों पर चर्चा कराई जानी संभव नहीं है। 
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री संगठन विजय सारस्वत ने 3 मार्च, 2020 सें गैरसैण में आयोजित राज्य विधानसभा के बजट सत्र की समयावधि पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा गैरसैण में आयोजित किया जाने वाला बजट सत्र कम समयावधि के चलते सैरसपाटा-हनीमून सत्र बनकर न रह जाय। विजय सारस्वत ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा के बजट सत्र की अवधि मात्र चार दिन रखी गई है तथा इतने समय में विधायकों द्वारा लगाये गये 500 प्रश्नों पर चर्चा कराई जानी संभव नहीं है। 
उन्होंने कहा कि बजट सत्र की समयावधि से सरकार की मंशा स्पष्ट होती है कि सरकार विधायकों के जनहित से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर देने से बचना चाहती है ताकि सरकार की वास्तविक स्थिति जनता के सामने न आ सके। उन्होंने यह भी कहा कि मात्र चार दिन की अवधि के लिए पूरा सरकारी अमला गैरसैण ले जाया जायेगा जिस पर जनता की गाड़ी कमाई का एक बडा हिस्सा खर्च होने के बावजूद भी जनता के प्रतिनिधियों को उनके प्रष्नों का उत्तर नहीं मिल पायेगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र में यदि जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाये गये प्रश्नों को न सुना जाय और उनके उत्तर न दिये जांय तो विधानसभा सत्र का कोई औचित्य नहीं बनता है।
प्रदेष महामंत्री ने यह भी कहा कि समय-समय पर देशभर में आयेाजित पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलनों में भी सदनों की कार्यवाही लगातार कम होने पर चिन्ता व्यक्त करते हुए सदनों के सत्रों की अवधि बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के गैरसैण में आयोजित बजट सत्र की अवधि कम से कम दो सप्ताह होनी चाहिए ताकि विभागवार बजट पर सदन में पूरी चर्चा हो सके तथा जनता की गाड़ी कमाई से टैक्स के रूप में दिये गये धन का सदुपयोग हो सके।
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