* दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के बाद एक बार फिर से उत्तराखंड में सीएम बदलने की चर्चा गरम है।
* उत्तराखण्ड भाजपा में हर कोई यही चर्चा कर रहा है कि क्या सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को बदला जा रहा है।
* कौन होगा नया सीएम ,भाजपा में सब अपने -अपने तरीके और समीकरणों के हिसाब से नाम तय कर रहे।
* "निशंक" का अचानक उत्तराखंड आना ,सभी को चौका गया।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून / नई दिल्ली। कांग्रेस मुक्त भारत के नारे पर खरा ना उतर पाने के कारण लगातार राजनैतिक गिरावट के चलते भाजपा का राज्यों में गिरते ग्राफ और दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के बाद एक बार फिर से उत्तराखंड में सीएम बदलने की चर्चा गरम है खासकर बीजेपी सर्कल में।
उत्तराखण्ड भाजपा में हर कोई यही चर्चा कर रहा है कि क्या सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को बदला जा रहा है। बीजेपी के भीतर तो कौन नया सीएम होगा उसे लेकर भी कयासबाजी शुरू हो गई है और सब अपने अपने समीकरणों के हिसाब से नाम बता रहे हैं। हालांकि सीएम के करीबी इस तरह की चर्चाओं को नकार रहे हैं।
सोमवार को उत्तराखंड सरकार ने दिल्ली के राष्ट्रीय पुलिस मैमोरियल में शहीदों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम रखा है, जिसमें उत्तराखंड से बीजेपी के सभी सांसदों के साथ ही उत्तराखंड के मंत्रियों और सभी विधायकों को भी आना है। इसे सीएम के शक्ति परीक्षण के तौर पर भी देखा जा रहा है।
* उत्तराखण्ड भाजपा में हर कोई यही चर्चा कर रहा है कि क्या सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को बदला जा रहा है।
* कौन होगा नया सीएम ,भाजपा में सब अपने -अपने तरीके और समीकरणों के हिसाब से नाम तय कर रहे।
* "निशंक" का अचानक उत्तराखंड आना ,सभी को चौका गया।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून / नई दिल्ली। कांग्रेस मुक्त भारत के नारे पर खरा ना उतर पाने के कारण लगातार राजनैतिक गिरावट के चलते भाजपा का राज्यों में गिरते ग्राफ और दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के बाद एक बार फिर से उत्तराखंड में सीएम बदलने की चर्चा गरम है खासकर बीजेपी सर्कल में।
उत्तराखण्ड भाजपा में हर कोई यही चर्चा कर रहा है कि क्या सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को बदला जा रहा है। बीजेपी के भीतर तो कौन नया सीएम होगा उसे लेकर भी कयासबाजी शुरू हो गई है और सब अपने अपने समीकरणों के हिसाब से नाम बता रहे हैं। हालांकि सीएम के करीबी इस तरह की चर्चाओं को नकार रहे हैं।
सीएम रावत से नाराज हैं विधायक !
वैसे तो उत्तराखंड में सीएम को लेकर विधायकों के बीच नाराजगी की सुगबुगाहट काफी वक्त से चल रही है, लेकिन दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद इसने जोर पकड़ लिया। बीजेपी की वहां प्रचंड बहुमत की सरकार है, इसलिए कोई विधायक खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है लेकिन अनौपचारिक बातचीत में वह भी चर्चा कर रहे हैं। एक नेता ने कहा कि जिस तरह दिल्ली के नतीजे आए और उससे पहले झारखंड में बीजेपी की सरकार गई उससे हमारी चिंता बढ़ी है। 2022 की शुरूआत में उत्तराखंड में चुनाव होने हैं और कई लोगों को यह लग रहा है कि अगर मौजूदा सीएम के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे तो कहीं नतीजे उम्मीद के विपरीत न आएं।
वैसे तो उत्तराखंड में सीएम को लेकर विधायकों के बीच नाराजगी की सुगबुगाहट काफी वक्त से चल रही है, लेकिन दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद इसने जोर पकड़ लिया। बीजेपी की वहां प्रचंड बहुमत की सरकार है, इसलिए कोई विधायक खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है लेकिन अनौपचारिक बातचीत में वह भी चर्चा कर रहे हैं। एक नेता ने कहा कि जिस तरह दिल्ली के नतीजे आए और उससे पहले झारखंड में बीजेपी की सरकार गई उससे हमारी चिंता बढ़ी है। 2022 की शुरूआत में उत्तराखंड में चुनाव होने हैं और कई लोगों को यह लग रहा है कि अगर मौजूदा सीएम के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे तो कहीं नतीजे उम्मीद के विपरीत न आएं।
निशंक और सतपाल महाराज का नाम आगे
पार्टी के भीतर तो चर्चा चल ही रही है, इसके साथ ही यह चर्चा उत्तराखंड में संघ के लोगों तक भी पहुंची है। ऐसा कहा जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत संघ के बैकग्राउंड के हैं, इसलिए संघ की तरफ से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन विधायक और पार्टी के ही कुछ सीनियर नेता दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। रावत की जगह पर कौन सीएम हो सकता है और किसका नाम चल रहा है इसका जवाब उत्तराखंड बीजेपी के नेता अपने अपने तरीके से दे रहे हैं। लेकिन कुल मिलाकर वे दो नामों का जिक्र कर रहे हैं। एक केंद्र सरकार में मंत्री
रमेश पोखरियाल "निशंक " का और दूसरा रावत की टीम में ही मंत्री सतपाल महाराज का।
एक बीजेपी नेता ने कहा कि सतपाल महाराज के समर्थकों की बड़ी संख्या के बावजूद उनका पुराना कांग्रेसी होना उनके खिलाफ जा सकता है। दूसरी तरफ, कहा जा रहा है कि निशंक केंद्र छोड़कर फिलहाल राज्य की राजनीति में वापस नहीं जाना चाहते। 2022 की शुरुआत में ही चुनाव हैं और जिस तरह लोकसभा चुनाव के बाद एक के बाद एक राज्य में बीजेपी की उम्मीद के विपरीत ही नतीजे आ रहे हैं, उससे सब थोड़ा घबराए हुए भी हैं।
वही " निशंक " के करीबी का कहना है कि फ़िलहाल प्रधानमन्त्री मोदी के विजन को बढ़ाने और निभाने में लगे है। ऐसी कोई बात नहीं है। इसी बीच अचानक "निशंक " के उत्तराखंड आने और जौलीग्रांट एअरपोर्ट पर पत्रकारों से किनारा करने तथा हरिद्वार में नवनियुक्त मण्डल पदाधिकारियों से मिलाने को भी राजनैतिक गलियारों में चल रही हवा को बल मिला। उधर हरिद्वार प्रेस क्लब में आयोजित सम्बाद कार्यक्रम में खुद " निशंक " का कहना कि मैंने अपना सारा जीवन भाजपा को दिया है आज तक मुझे पार्टी ने जो आदेश दिए है उसका पालन करता आया हूँ। इसलिए पार्टी मुझे जो भी आदेश देगी मै ससम्मान पालन करूँगा।
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