पीड़ित परिवारों की खुशी पर ममता बनर्जी को एतराज क्यों ? हत्याओं का यह राजनीतिक जवाब है।
पश्चिम बंगाल में बेनकाब हो चुकी है टीएमसी।
(एस.पी.मित्तल)
30 मई को नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पश्चिम बंगाल के वो 54 परिवार भी भाग ले रहें जिनके एक सदस्य की हत्या की गई। बंगाल से दिल्ली पहुंचे इन परिवारों के सदस्यों ने बताया कि किस प्रकार ममता बनर्जी की टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने हत्या की। ऐसे पीड़ित परिवारों को कहना रहा कि वे खुशी जताने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि हत्यारों को सजा दिलवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने आए हैं। केन्द्र सरकार ने जिस सम्मान के साथ 54 परिवारों के कोई दो सौ सदस्यों को आमंत्रित किया, उससे ममता बनर्जी बेहद खफा है। ममता का कहना है कि इस मुद्दे पर भाजपा राजनीति कर रही है। सब जानते हैं कि बंगाल में टीएमसी के गुंडों ने किस तरह भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याएं की। पिछले तीन वर्षों में करीब 100 कार्यकर्ता मारे गए हैं। सत्ता के नशे में ममता ने इन हत्याओं की परवाह नहीं की। अब जब लोकसभा चुनााव में बंगाल में भाजपा की 18 सीटों पर जीत हो गई तो ममता को अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आ रही है। लेकिन ममता बनर्जी वो ही गलती कर रही है जो अब तक करती आ रही हैं। भाजपा अब टीएमसी की गुंडाई का जवाब राजनीतिक तरीके से दे रही है। 54 पीड़ित परिवारों को दिल्ली में पश्चिम बंगाल सरकार के राजकीय आवास में ठहराया गया ताकि पीड़ित परिवारों के मन से डर निकल सके। ममता को उन परिवारों की पीड़ा को समझना होगा जिन्होंने अपना सदस्य खोया है। लेकिन ममता तो उल्टा नाराज हो रही है। आने वाले दिनों में जब इन्हीं परिवारों में से कोई पार्षद, कोई जिला परिषद सदस्य, कोई प्रधान तो कोई विधायक बनेगा, तब ममता का क्या होगा ? ममता को यह समझाना चाहिए कि जब देश मे आम लोग मुख्यधारा में बह रहे हें। ममता जैसी नेताओं ने अब तक जो डर दिखा रखा था उसकी अब पोल खुल गई है। देश का कोई भी नागरिक कट्टरता को पसंद नहीं करता है। जब सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास पर देश चलने लगा है तब ममता जैसी नेताओं की राजनीतिक दुकान बंद हो जाएंगी। अब देश में सकारात्मक राजनीति ही चलेगी।
पश्चिम बंगाल में बेनकाब हो चुकी है टीएमसी।
(एस.पी.मित्तल)
30 मई को नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पश्चिम बंगाल के वो 54 परिवार भी भाग ले रहें जिनके एक सदस्य की हत्या की गई। बंगाल से दिल्ली पहुंचे इन परिवारों के सदस्यों ने बताया कि किस प्रकार ममता बनर्जी की टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने हत्या की। ऐसे पीड़ित परिवारों को कहना रहा कि वे खुशी जताने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि हत्यारों को सजा दिलवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने आए हैं। केन्द्र सरकार ने जिस सम्मान के साथ 54 परिवारों के कोई दो सौ सदस्यों को आमंत्रित किया, उससे ममता बनर्जी बेहद खफा है। ममता का कहना है कि इस मुद्दे पर भाजपा राजनीति कर रही है। सब जानते हैं कि बंगाल में टीएमसी के गुंडों ने किस तरह भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याएं की। पिछले तीन वर्षों में करीब 100 कार्यकर्ता मारे गए हैं। सत्ता के नशे में ममता ने इन हत्याओं की परवाह नहीं की। अब जब लोकसभा चुनााव में बंगाल में भाजपा की 18 सीटों पर जीत हो गई तो ममता को अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आ रही है। लेकिन ममता बनर्जी वो ही गलती कर रही है जो अब तक करती आ रही हैं। भाजपा अब टीएमसी की गुंडाई का जवाब राजनीतिक तरीके से दे रही है। 54 पीड़ित परिवारों को दिल्ली में पश्चिम बंगाल सरकार के राजकीय आवास में ठहराया गया ताकि पीड़ित परिवारों के मन से डर निकल सके। ममता को उन परिवारों की पीड़ा को समझना होगा जिन्होंने अपना सदस्य खोया है। लेकिन ममता तो उल्टा नाराज हो रही है। आने वाले दिनों में जब इन्हीं परिवारों में से कोई पार्षद, कोई जिला परिषद सदस्य, कोई प्रधान तो कोई विधायक बनेगा, तब ममता का क्या होगा ? ममता को यह समझाना चाहिए कि जब देश मे आम लोग मुख्यधारा में बह रहे हें। ममता जैसी नेताओं ने अब तक जो डर दिखा रखा था उसकी अब पोल खुल गई है। देश का कोई भी नागरिक कट्टरता को पसंद नहीं करता है। जब सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास पर देश चलने लगा है तब ममता जैसी नेताओं की राजनीतिक दुकान बंद हो जाएंगी। अब देश में सकारात्मक राजनीति ही चलेगी।
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