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Saturday, 18 May 2019

प्रधानमंत्री मोदी के ध्यान साधना के आखिर क्या मायने निकले जाए


(ब्यूरो,न्यूज़ 1 हिंदुस्तान)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ में दर्शन और रुद्र कुटी में ध्यान साधना के अनेक मायने समझे जा रहे हैं। एक तो मोदी ने पिछले 5 साल से कभी इस तरह से आराम नहीं किया था और अब चुनावी आपाधापी निबटने के बाद मोदी खुद को रिकवर करने के लिए केदारनाथ में 1 दिन की ध्यान साधना कर रहे हैं, ध्यान साधना से सालों की नष्ट हुई ऊर्जा को रिकवर किया जा सकता है यह विज्ञान सम्मत फॉर्मूला है। दूसरा मोदी केदारनाथ से काशी को साधना चाहते हैं इससे इस ध्यान साधना से काशी में मोदी को ज्यादा समर्थन मिलने की उम्मीद है। तीसरा मोदी केदारनाथ में पूरे देश के लिए अमन शांति की प्रार्थना कर रहे हैं, समझा जा रहा है कि इस बार भी मोदी महागठबंधन को पीछे छोड़ देंगे और वे 300 से ज्यादा सीटें लेकर देश की सबसे बड़ी पार्टी बनने का गौरव हासिल कर सकते हैं, इसलिए भी मोदी भगवान केदारनाथ से आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचे, और राष्ट्र कल्याण की कामना की। एक और बात मोदी जैसे ही केदारनाथ की रूद्र गुफा में ध्यान साधना में बैठे, त्यों ही विपक्ष की नींद उड़ गई है। देखने में आया कि विपक्ष का सोना खाना और नींद चैन हराम हो गया है ये भी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। केदारनाथ में ध्यान साधना से न केवल भारतीय मीडिया बल्कि विदेशी मीडिया का ध्यान भी मोदी पर केंद्रित हो गया है। और सबसे बड़ा फायदा मोदी की ध्यान साधना का उत्तराखंड को होने वाला है केदारनाथ मंदिर और उसकी भव्यता अचानक से विश्व रंगमंच पर आ गई है इससे केदारनाथ में पर्यटकों, यात्रियों और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी और उससे स्थानीय निवासियों एवं उत्तराखंड के यात्रा मार्गों के दुकानदारों को फायदा होगा। रूद्र गुफा केदारनाथ से 2 किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर है केदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के बाद मोदी यहाँ तक पैदल चल कर आये और बिना कुछ खाये पिये मौन व्रत के साथ ध्यान साधना की। आज के बाद ध्यान साधना करने वालों के लिए यह गुफा भी किसी वीआईपी गेस्ट हाउस से कम होने वाली नहीं है। यहां पर लोग आकर अब ध्यान साधना क्या करेंगे इस गुफा को भी रातों-रात मोदी ने विश्व पटल की ध्यान साधना कुटीर बना दिया। मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री रहते 18 मई 2019 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन केदारनाथ में ध्यान साधना कर न केवल एक महत्वपूर्ण इतिहास रच दिया बल्की आल वैदर चारधाम याात्रा मोटर मार्ग के चौड़ीकरण और रेल नेटवर्क को बढ़ावा देकर चारोंं धामों के पर्यटन को विकसित करने का ऐतिहासिक कार्य कर रहे हैं। इससे पहले भी प्रधानमंत्री रहते हुए मोदी ने तीन बार केदारनाथ की यात्रा की। अब भी उन्होंने केदारनाथ पहुंचते ही सबसे पहले हवाई पट्टी के पास ही केदारनाथ के विकास कार्यों की समीक्षा की, मोदी खुद केदारनाथ के मास्टर प्लान और चार धाम यात्रा मार्ग की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, इससे उत्तराखंड के विकास को पर्यटन को चार चांद लगना तय माना जा रहा है। यही नहीं मोदी की साधना पर बैठते ही वामपंथी विचारधारा के लोगों के सीने पर सांप लोटने लगे हैं क्योंकि मोदी की इस ध्यान साधना से सबसे ज्यादा वामपंथी विचारधारा और इस्लामिक आतंकवाद परस्तों को कड़ा संदेश जाता है कि मोदी भारतीय सनातन विचारधारा को कितनी प्रमुखता देते हैं। यही कारण है कि इस ध्यान साधना पर सबसे ज्यादा विवादित टिप्पणियां वामपंथी संगठनों के लोगों के साथ ही आतंकवाद परस्त विचारधारा के लोगों की भी आई है। वे खिसिया कर बिलबिला गए हैं। मोदी केदारनाथ से शांंति का संदेश देना चाहते हैं और इसमें वे सफल रहे हैं। निश्चित रूप से शासक को धर्म के मार्ग पर चलने वाला आस्था वान साधक और संयमी होना ही चाहिए, तभी वह एक कुशल और अनुशासन प्रिय शासक बन सकता है। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री मोदी ने इस साधना से ना केवल विपक्ष को साधा है बल्कि भारतीय राजनीति की आगे की दशा दिशा का भी संकेत दे दिया है।
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