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Saturday, 8 June 2019

राहुल के इस्तीफे के प्रस्ताव से क्या बिखराने लगी कांग्रेस ?जाने

राजस्थान से लेकर पंजाब, तेलंगाना तक बगावत के हालात।
राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 7 जून को राजनीति में सक्रिय नजर आए
(एस.पी.मित्तल)
कांग्रेस के लिए इसे शुभ संकेत माना जाना चाहिए कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 7 जून को राजनीति में सक्रिय नजर आए। केरल के वायनाड़ संसदीय क्षेत्र में पहुंच कर राहुल गांधी ने मतदाताओं का शुक्रिया अदा किया। राहुल यूपी के अमेठी से भले 52 हजार मतों से हार गए, लेकिन वायनाड़ में राहुल ने करीब 6 लाख मतों से लोकसभा का चुनाव जीता है। 23 मई को परिणाम आने के बाद से ही राहुल गांधी कोप भवन में चले गए थे। 26 मई को हुई वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया। हालांकि इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है, लेकिन राहुल गांधी चाहते हैं कि गांधी परिवार के बाहर का कोई अध्यक्ष चुना जाए। सूत्रों की माने तो राहुल ने वर्किंग कमेटी को दो माह का समय दिया है। यानि राहुल ने अभी तक इस्तीफे का प्रस्ताव कर रखा है। राहुल के इस प्रस्ताव से ही कांग्रेस बिखरने लगी है। इसकी शुरुआत राजस्थान से हुई, जब सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट का विवाद उजागर हुआ। पायलट के समर्थक गहलोत को हटा कर पायलट को सीएम बनाने की मांग कर रहे हैं तो सीएम गहलोत कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में मिली हार में भी हिस्सेदारी होनी चाहिए। गहलोत ने पायलट से कम से कम जोधपुर की हार की जिम्मेदारी लेने की बात कही है। पता नहीं राजस्थन कांग्रेस का विवाद कहां तक जाएगा, लेकिन इससे सरकार के कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
जबकि पंजाब में तो कांग्रेस सरकार के सीएम कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने तो सीधे राष्ट्रीय नेतृत्व को चुनौती दे दी है। 6 जून को जब नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्रिमंडल की बैठक के बहिष्कार की बात कही तो सिद्धू के विभाग को बदल दिया गया। सिद्धू से नगरीय विकास विभाग छीन कर ऊर्जा विभाग दे दिया गया। कैप्टन अमरेन्द्र और सिद्धू की जंग अब पंजाब की सड़कों पर है। सिद्धू को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का संरक्षण है। राहुल गांधी के कहने पर भी सिद्धू ने लोकसभा चुनाव में देशभर में सभाएं की और प्रधानमंत्री मोदी के लिए अभद्र भाषा का उपयोग किया। लेकिन अब सिद्धू को बचाने वाला कोई नजर नहीं आ रहा। इसी प्रकार कांग्रेस के 18 में से 12 विधायक सत्तारुढ़ टीआरएस में शामिल हो गए। महाराष्ट्र में भी दो विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी है। कर्नाटक में कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार कभी भी गिर सकती है, जबकि मध्यप्रदेश की सरकार केन्द्रीय गृहमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के रहमो करम पर है। चूंकि अमित शाह अभी गृह मंत्रालय में व्यस्त हैं, इसलिए मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार चल रही है। यूपी, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में तो कांगे्रस पहले ही साफ है। देश में थोड़े बहुत कांग्रेस गांधी परिवार की वजह से ही है। यदि राहुल गांधी अध्यक्ष पद छोड़ देते हैं तो फिर कांगे्रस बिखरती चली जाएगी। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने जो व्यवहार किया, उसी का परिणाम है कि कांग्रेस के नेतृत्व विहीन लग रही है। क्षेत्रीय नेता अपनी मर्जी से निर्णय ले रहे हैं। राहुल गांधी को इन ताजा हालातों से कांग्रेस के भविष्य का अंदाजा लगा लेना चाहिए।

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