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Monday, 24 June 2019

आखिर क्यों हुई प्रकाश पंत के नाम पर विधान सभा अतिथि गृह रखने की घोषणा ?जाने

 स्पीकर ने विधान सभा परिसर देहरादून में स्थित नवीन भवन का नाम प्रकाश पंत के नाम पर रखने की करी घोषणा।

(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

देहरादून । उत्तराखंड विधानसभा परिसर मै आज सत्र के पहले दिन सदन में पूर्व मंत्री स्वर्गीय  प्रकाश पंत  को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।इस दौरान सदन की गैलरी में प्रकाश पंत के चित्र पर विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्रियों सहित सभी विधायकों ने फूल चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान सदन द्वारा दो मिनट का मौन रखकर श्री प्रकाश पंत की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।

 विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल  द्वारा सदन में पीठ से आज का दिन सभी विधायी कार्यों को ना कर प्रकाश पंत जी को श्रद्धांजलि देने के लिए रखा गया।इस दौरान नेता सदन, नेता प्रतिपक्ष, मंत्रियों और विधायकों द्वारा प्रकाश पंत जी के जीवन पर अपने विचार रखे एवं साथ ही उनके साथ बिताए गए समय एवं प्रसंगों को सदन के साथ साझा किया।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने पीठ से उत्तराखण्ड विधान सभा की स्थापना में पंत के योगदान को श्रद्धांजलि चिरस्थायी स्वरूप में विधान सभा परिसर देहरादून में स्थित नवीन भवन का नाम प्रकाश पन्त  के नाम पर प्रकाश पन्त विधान सभा अतिथि गृह रखने की घोषणा की।

सदन के भीतर इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने पीठ से कहा कि शान्त, सौम्य और सरल व्यक्तित्व के धनी पन्त जी के मुख मंडल पर एक हल्की मुस्कान सदैव बनी रहती थी। एक लोकप्रिय जननेता होने के साथ वह एक प्रतिभाशाली साहित्यकार भी थे।भारत के गौरव पं0 दीन दयाल उपाध्याय को अपना आदर्श मानने वाल पंत जी ने युवावस्था में ही उत्तराखण्ड की अनन्तिम विधान सभा के अध्यक्ष का दायित्व बखूबी संभाला तथा प्रदेश विधान सभा में स्वस्थ संसदीय परंपराओं की नींव डाली। एक मंत्री व जनप्रतिनिघि के रूप में प्रदेश के विकास को नई दिशा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संसदीय कार्य के अपने कौशल और चातुर्य के लिए सदन के सभी सदस्यों का आदर, सम्मान प्राप्त किया।विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधान सभा एक ऐसा संस्थान है जिसकी बुलन्द ईमारत में न केवल नियम और प्रक्रियाओं की ईंटे हैं वरन् उच्च कोटि की संसदीय परम्पराओं, आचरण और मर्यादाओं के पत्थरों ने भी इसकी मजबूत दीवारों का निर्माण किया है।विधान सभा की इन्हीं प्रक्रियाओं और परम्पराओं की स्थापना करने का महान दायित्व उनके युवा अनुभवहीन कंधों पर था। परन्तु उन्होंने कड़े परिश्रम से बखूबी इस कार्य को निभाया। इस दृष्टि से प्रकाश पन्त जी लोकतंत्र की इस महान संस्थान के नींव के पत्थर हैं।

श्री अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने प्रथम समितियों का गठन किया, नियम समिति का गठन कर प्रदेश की अपनी कार्य संचालन नियमावली के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। न केवल उन्होंने उत्तराखण्ड की महान जनता की आशाओं की प्रतीक इस सर्वाच्च पीठ की आधारशिला रखी वरन्  सदन के भीतर और बाहर अपने गरिमापूर्ण संसदीय आचरण से उसकी आभा को तेजोमय कर दिया। इसी कारण से समस्त राष्ट्रमण्डल देशों में सबसे कम उम्र के अध्यक्ष होते हुए भी उन्होंने अनुभवी और लब्ध प्रतिष्ठ संसदविदों का आदर सम्मान भी प्राप्त किया।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अत्यंत शालीन स्वभाव के श्री पन्त का राजनैतिक व सामाजिक क्षेत्र में बहुत ही उच्च स्थान था। उनके असामयिक निधन से हुई अपूरर्णीय क्षति से संपूर्ण प्रदेश आहत व शोकमग्न है। श्री प्रकाश पन्त जी के असमय हमे छोड़कर चले जाने से प्रदेश की अपूर्णीय क्षति हुई है।मैं उनके परिजनों को सदन की ओर से शोक संवेदना प्रेषित करता हॅू तथा ईश्वर से प्रार्थना करता हॅू कि वह शोक संतप्त परिवार को इस दुख से उबरने हेतु बल प्रदान करे।
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