डरते हैं तो बोलते क्यों हैं? अभी तक नहीं ली लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी।
(एस.पी.मित्तल)
सवाल उठता है कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर दिए गए प्रतिकूल बयान पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर बार पीछे क्यों हटते हैं? पीछे हटने पर बयान से मुकरने का सिलसिला विधानसभा चुनाव के पहले से चला आ रहा है। ताजा मामला पुत्र वैभव गहलोत की जोधपुर में हुई हार से जुड़ा हुआ है। गहलोत ने 3 जून को एबीपी न्यूज को एक विशेष इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू के आधार पर ही मैंने तीन जून को ब्लॉग संख्या 5592 लिखा। ब्लॉग के सोशल मीडिया पर पोस्ट होने के बाद बीबीसी ने भी अपनी वेबसाइट पर खबर चलाई। बवेला मचा तो गहलोत पीछे हट गए। अपने कहे शब्दों पर सफाई दी। दिल्ली में राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीस सुरेजावाला से भी सफाई दिलवाई। गहलोत अब चाहे कुछ भी सफाई दें या दिलवावें, लेकिन मीडिया में वो ही चला है जो गहलोत ने कहा था। गहलोत चाहें तो एबीपी वाला इंटरव्यू सौ बार देख लें। गहलोत ने साफ कहा कि जब सचिन पायलट ने मेरे पुत्र वैभव की जमानत राहुल गांधी के सामने दी थी तो फिर जोधपुर से हार कैसे हो गई? इस पर जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पायलट की ओर इशारा करते हुए गहलोत का कहना रहा कि जब विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय लेते हैं तो फिर लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। गहलोत का यह भी कहना रहा कि मैं तीन बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना तब जाकर मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। गहलोत बताएं यह बात किस संदर्भ में किस के लिए कही थी। कांग्रसे की वर्किंग कमेटी में नेता पुत्रों पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर भी गहलोत ने राय प्रकट की। इंटरव्यू में कही गई बातों से ही अब गहलोत पलट रहे हैं तो यह उनकी राजनीति है। मीडिया वाले उनके कथनों का गलत अर्थ निकालते हैं तो फिर वे ऐसे शब्द बोलते ही क्यों हैं? विधानसभा चुनाव के दौरान भी गहलोत को कई बार अपने बयानों पर सफाई देनी पड़ी। गहलोत उन्हीं बयानों में उलझते हैं जो सचिन पायलट के सदंर्भ में होते हैं। गहलोत को जब पता है कि पायलट भी राहुल गांधी तक एप्रोच रखते हैं तो पायलट से पंगा क्यों लेते हैं? समर्थकों को लगता है कि मुख्यमंत्री की जिस कुर्सी पर सचिन पायलट को होना चाहिए उस पर अशोक गहलोत बैठे हैं। गहलोत ने एबीपी न्यूज को जो इंटरव्यू दिया है उससे उठा विवाद फिलहाल शांत नहीं होगा। यह बात अलग है कि लोकसभा चुनाव हार की जिम्मेदारी अभी तक दोनों नेताओं ने नहीं ली है। गहलोत और पायलट सार्वजनिक मंचों से भले ही एक होने का दावा करें, लेकिन आंतरिक विवाद जगजाहिर है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भी सच्चाई को समझना होगा।
(एस.पी.मित्तल)
सवाल उठता है कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर दिए गए प्रतिकूल बयान पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर बार पीछे क्यों हटते हैं? पीछे हटने पर बयान से मुकरने का सिलसिला विधानसभा चुनाव के पहले से चला आ रहा है। ताजा मामला पुत्र वैभव गहलोत की जोधपुर में हुई हार से जुड़ा हुआ है। गहलोत ने 3 जून को एबीपी न्यूज को एक विशेष इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू के आधार पर ही मैंने तीन जून को ब्लॉग संख्या 5592 लिखा। ब्लॉग के सोशल मीडिया पर पोस्ट होने के बाद बीबीसी ने भी अपनी वेबसाइट पर खबर चलाई। बवेला मचा तो गहलोत पीछे हट गए। अपने कहे शब्दों पर सफाई दी। दिल्ली में राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीस सुरेजावाला से भी सफाई दिलवाई। गहलोत अब चाहे कुछ भी सफाई दें या दिलवावें, लेकिन मीडिया में वो ही चला है जो गहलोत ने कहा था। गहलोत चाहें तो एबीपी वाला इंटरव्यू सौ बार देख लें। गहलोत ने साफ कहा कि जब सचिन पायलट ने मेरे पुत्र वैभव की जमानत राहुल गांधी के सामने दी थी तो फिर जोधपुर से हार कैसे हो गई? इस पर जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पायलट की ओर इशारा करते हुए गहलोत का कहना रहा कि जब विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय लेते हैं तो फिर लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। गहलोत का यह भी कहना रहा कि मैं तीन बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना तब जाकर मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। गहलोत बताएं यह बात किस संदर्भ में किस के लिए कही थी। कांग्रसे की वर्किंग कमेटी में नेता पुत्रों पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर भी गहलोत ने राय प्रकट की। इंटरव्यू में कही गई बातों से ही अब गहलोत पलट रहे हैं तो यह उनकी राजनीति है। मीडिया वाले उनके कथनों का गलत अर्थ निकालते हैं तो फिर वे ऐसे शब्द बोलते ही क्यों हैं? विधानसभा चुनाव के दौरान भी गहलोत को कई बार अपने बयानों पर सफाई देनी पड़ी। गहलोत उन्हीं बयानों में उलझते हैं जो सचिन पायलट के सदंर्भ में होते हैं। गहलोत को जब पता है कि पायलट भी राहुल गांधी तक एप्रोच रखते हैं तो पायलट से पंगा क्यों लेते हैं? समर्थकों को लगता है कि मुख्यमंत्री की जिस कुर्सी पर सचिन पायलट को होना चाहिए उस पर अशोक गहलोत बैठे हैं। गहलोत ने एबीपी न्यूज को जो इंटरव्यू दिया है उससे उठा विवाद फिलहाल शांत नहीं होगा। यह बात अलग है कि लोकसभा चुनाव हार की जिम्मेदारी अभी तक दोनों नेताओं ने नहीं ली है। गहलोत और पायलट सार्वजनिक मंचों से भले ही एक होने का दावा करें, लेकिन आंतरिक विवाद जगजाहिर है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को भी सच्चाई को समझना होगा।
0 comments:
Post a Comment