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Tuesday, 20 August 2019

इमरान खान से 12 मिनट और नरेन्द्र मोदी से 30 मिनट फोन पर आखिर क्यों की डोनाल्ड ट्रंप ने बात ?जाने

तो अमरीका ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता शुरू कर दी है।
लेकिन कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटने के बाद।
भारत की बर्बादी की बात करने वालों को कुचलना चाहिए-रेड्डी।
(एस.पी.मित्तल) 

नई दिल्ली | दो व्यक्तियों के आपसी विवाद को हल करने के लिए जब तीसरा व्यक्ति संवाद के लिए आता है उसे मध्यस्थता कहा जाता है। यह माना जाता है कि अब विवाद का हल मध्यस्थता के जरिए होगा। पिछले तीन दिन से अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ की भूमिका ही निभा रहे हैं। 18 अगस्त को ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से 12 मिनट तक फोन पर बात की और 19 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संवाद किया। स्वाभाविक है कि भारत और पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर ही बात की होगी। संवाद के बाद दोनों देशों की सरकार की ओर से जानकारी दी जा रही है वो ही मीडिया में प्रासारित हो रही है। दोनों ही देश अमरीका को अपना हितैषी मान रहे हैं।
अमरीका पाकिस्तान का कितना हितैषी है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन अमरीका भारत के साथ खड़ा है। इसके कई सबूत डोनाल्ड ट्रंप ने दे दिए हैं। इमरान खान ने गत माह अमरीका की यात्रा की थी, तब मीडिया के सामने ट्रंप ने कहा था कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी ने मुझ से मध्यस्थता करने के लिए कहा है। तब पूरे पाकिस्तान में खुशियां मनाई गई,क्योंकि पाकिस्तान तो यही चाहता था। हालांकि तब पीएम नरेन्द्र मोदी को छोड़कर भारत के सभी नेताओं और मंत्रियों ने ट्रंप के कथन का खंडन किया। 5 अगस्त को भारत की संसद ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाकर जम्मू कश्मीर प्रांत को केन्द्रशासित प्रदेश बना दिया। यानि अमरीका मध्यस्थता तो कर रहा है, लेकिन 370 के हटने के बाद।
अब जब कश्मीर घाटी से पाकिस्तान का दखल ही बंद करवाया जा रहा है तब मध्यस्थता के क्या मायने हैं। इसे इमरान खान को समझना होगा। अब भारत की ओर से विवाद का कोई मुद्दा ही नहीं रहा है। अब नरेन्द्र मोदी का प्रयास होगा कि पाकिस्तान को चुप रहने के लिए अमरीका से मध्यस्थता करवाई जाए। यानि डोनाल्ड ट्रंप अब इमरान खान को समझाएं कि कश्मीर में आतंकी न भेजे और भड़काने वाली कार्यवाही नहीं करें। साथ ही भारत पर हमले की धमकी भी न दें। अब जब कश्मीर घाटी भी केन्द्र शासित हो गई है तो हमारे सुरक्षा बल आतंकियों, अलगाववादियों और महबूबा व उमर जैसे नेताओं से निपटने में समक्ष हैं।
अब तक अनुच्छेद 370 के प्रावधानों की वजह से कश्मीर घाटी को विशेष दर्जा मिला हुआ था, इसलिए पाकिस्तान मनमानी कर रहा था। अमरीका अपनी मध्यस्थता से यदि पाकिस्तान को काबू में रखता है तो कश्मीर घाटी में सामान्य स्थिति हो जाएगी। कई बार डोनाल्ड ट्रंप को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। उनके बोलने के अंदाज को लेकर मजाक उड़ाया जाता है, लेकिन कश्मीर के मुद्दे पर ट्रंप ने बेहद समझदारी दिखाई है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद ही मध्यस्थता शुरू की है।
गलत बयान बर्दाश्त नहीं होंगे:

केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने 20 अगस्त को दो टूक शब्दों में कहा है कि हमारे सुरक्षा बलों को लेकर गलत बयानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो लोग भारत की बर्बादी की बात करते हैं। उन्हें अब कुचलना चाहिए। मालूम हो कि जेएनयू की पूर्व छात्रा शहला रशीद ने ट्वीटर पर कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की है। हालांकि इस टिप्पणी के विरोध में शहला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है। लेकिन अब शहला की टिप्पणी को लेकर विवाद उठा खड़ा हुआ है। जेएनयू में भारत के खिलाफ नारे लगते रहे हैं। शहला को उन तत्वों में माना जाता है जो कश्मीर को भारत से लग करना चाहते हैं।

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