प्रो० दिनेश भट्ट व डॉ0 चेरिल के वार्ता में पक्षियों के अतिरिक्त भारतीय लोक गीतों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग्स भी ब्रिटिश साउंड आर्काइव में संकलित करने की ओर प्रयास होगा जिसमे गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक प्रकोष्ठ सहयोग प्रदान करेगा।
ब्रिटिश साउंड आर्काइव लाइब्रे री लंदन में बनेगी भारतीय पक्षि यों के गीतों की वीथिका
ब्रिटिश साउंड आर्काइव लाइब्रे
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलसचिव व पर्यावरण विज्ञानं वि भाग के विभागाध्यक्ष व अंतरराष् ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक प्रो० दि नेश भट्ट ब्रिटैन के ब्राइटन शह र में आयोजित इंटरनेशनल बायोअकॉ स्टिक्स कॉउन्सिल में सिम्पोजि यम की अध्यक्षता कर व लंदन की ने शनल लाइब्रेरी में विजिट कर 13 सितम्बर को स्वदेश वापस लौट आये हैं।
हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलसचिव व पर्यावरण विज्ञानं वि
प्रो दिनेश भट्ट ने बताया की स सेक्स यूनिवर्सिटी में पक्षी व वन्य जीवन के संवाद विज्ञान पर आयोजित विश्व सम्मलेन में कई प् रकार की नई जानकारी हासिल हुई है । पौलैंड के वैज्ञानिक औसेजुक ने बोउबोउ नामक वनीय पक्षी की मधुर जुगलबंदी (डुएट सॉन्ग) गायन कला का वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जिसमें नर पक्षी द्वारा गाए गए कुछ शब्दों के विन्यास को पूरा वाक्य बनाने में मादा पक्षी तुरंत ही अपने द्वारा शब्दों (फ्रेजेस) को जोड़ देती है। यह जुगलबंदी (युगल गीत) इतनी जल्दी, सटीक व सलीके से होती है कि सुनने वाले को आभास होता है जैसे एक ही पक्षी गा रहा हो। हिंदी फिल्म अभिमान के इस गीत से पक्षी की गायन कला को इस तरह समझ सकते हैं: नर ने गाया "तेरे मेरे मिलन की" और मादा ने एक सेकेण्ड में ही बोल पूरे कर दिए "ये रैना" इस तरह गीत की एक पंक्ति "तेरे मेरे मिलन की ये रैना" नर मादा ने गाकर पूरी कर ली।
इससे ज्ञात होता है की पक्षियों की सांस्कृतिक धरोहर कितनी समृद्ध है। इस तरह के सोलो (एकल), डुएट (युगल) व कोरस यानी समूह गीत का प्रचलन मनुष्य से लाखो वर्ष पूर्व पक्षियों में हो चुका था। प्रो0 भट्ट ने अपने शोध प्रस्तुति में अल्ट्रामैरिन फ्लाई कैचर नामक पक्षी की चर्चा करते हुए बताया कि इस पक्षी की पूर्वी हिमालय क्षेत्र व दक्षिण हिमालयी क्षेत्र की पॉपुलेशन में गीतों की संख्या व गायन कला में अंतर है। प्रो0 भट्ट ने जानकारी दी कि जीन ही नहीं संस्कृति एवं भू भौगोलिक परिस्थिति का भी पक्षी गीतों की संरचना एवं गायन कला पर सीधा एवं गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह विश्व के अनेक भू भागो के रिकार्डेड सॉन्ग से ज्ञात होता है कि पक्षियों में गीतों का चलन व प्रणय निवेदन की संस्कृति अपने आप में अनूठी है। सूच्य है कि पक्षियों में गायन का केंद्र मस्तिष्क में होता है जो बसंत काल के प्रभाव से सक्रिय हो जाते हैं।
इससे ज्ञात होता है की पक्षियों की सांस्कृतिक धरोहर कितनी समृद्ध है। इस तरह के सोलो (एकल), डुएट (युगल) व कोरस यानी समूह गीत का प्रचलन मनुष्य से लाखो वर्ष पूर्व पक्षियों में हो चुका था। प्रो0 भट्ट ने अपने शोध प्रस्तुति में अल्ट्रामैरिन फ्लाई कैचर नामक पक्षी की चर्चा करते हुए बताया कि इस पक्षी की पूर्वी हिमालय क्षेत्र व दक्षिण हिमालयी क्षेत्र की पॉपुलेशन में गीतों की संख्या व गायन कला में अंतर है। प्रो0 भट्ट ने जानकारी दी कि जीन ही नहीं संस्कृति एवं भू भौगोलिक परिस्थिति का भी पक्षी गीतों की संरचना एवं गायन कला पर सीधा एवं गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह विश्व के अनेक भू भागो के रिकार्डेड सॉन्ग से ज्ञात होता है कि पक्षियों में गीतों का चलन व प्रणय निवेदन की संस्कृति अपने आप में अनूठी है। सूच्य है कि पक्षियों में गायन का केंद्र मस्तिष्क में होता है जो बसंत काल के प्रभाव से सक्रिय हो जाते हैं।
इस विदेश यात्रा का महत्वपूर्ण पहलु यह रहा की “ब्रिटिश लाइब् रेरी (साउंड आर्काइव)” की क्यू रेटर व आई बी ए सी की जनरल सेक् रेटरी डॉ. चेरिल टिप ने भारतीय पक्षियों के गीतों व संवाद विज् ञान की रिकॉर्डिंग को संकलित कर रखने हेतु एक अलग सेक्शन बनाने की बात कही है इस तरह विश्व फल क पर दुनिया की सबसे पुरानी व ध्वनि संग्रहों की सबसे बड़ी ला इब्रेरी में भारतीय पक्षियों के गीतों की ध्वनियाँ आधुनिक तरी के से एक जगह संग्रहित हो सकेगी जो विश्व में पक्षी व जीव जगत के वैज्ञानिकों व कंजर्वेशन बायोलॉ जिस्ट के लिए अनेक रूप से उपयो गी होगी।
प्रो0 दिनेश भट्ट व डॉ0 चेरिल के वार्ता में पक्षियों के अतिरिक्त भारतीय लोक गीतों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग्स भी ब्रिटिश साउंड आर्काइव में संकलित करने की ओर प्रयास होगा जिसमे गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक प्रकोष्ठ सहयोग प्रदान करेगा। ब्रिटिश लाइब्रेरी लंदन सन 1753 में स्थापित दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी मानी जाती हे इसमें लगभग 200 मिलियन किताबें उपलब्ध हैं। इस लाइब्रेरी में वाइल्डलाइफ व साउंड आर्काइव सेक्शन है। इस लाइब्रेरी में लगभग 10 लाख डिस्क व हजारो केसेट्स हैं जिनमे वन्यजीवों के गीत एवं वीडियो रिकॉर्डिंग्स संगृहीत हैं। इंजीनियर्स की देखरेख में भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए लाइब्रेरी में विभिन्न ध्वनियों/गीतों को सुरक्षित रखा गया है। लाइब्रेरी की वेबसाइट पर लगभग 60000 वन्यजीव व पक्षियों की आवाजे निशुल्क उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त लाइब्रेरी में लगभग 100 साल पुराने सांस्कृतिक कार्यक्रम/ नाटकों की रिकॉर्डिंग्स भी संग्रहित कर रखी गयी हैं जिनका समय समय पर तकनिकी सहायको द्वारा रखरखाव किया जाता है। लाइब्रेरी में प्राचीन समय के ग्रामोफ़ोन्स, रेडियो, डिस्क प्लेयर्स, कैसेट्स भी सुरक्षित रखे गए हैं जो आज भी सक्रिय हैं।
प्रो0 दिनेश भट्ट की गुरुकुल विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग में स्थित प्रयोगशाला देश की प्रथम एवं अग्रणी प्रयोगशाला है, इनकी प्रयोगशाला के शोध छात्रों डा0 विनय सेठी, डा0 अमर सिंह, डा0 आशुतोष, डा0 अमित, डा0 नवजीवन, डॉ अजीत व आशीष ने भी अपने शोध पत्र जापान, पुर्तगाल, जर्मनी, ब्रिटेन, डेनमार्क, कनाडा इत्यादि देशों में आयोजित सम्मेलनों में प्रस्तुत किये हैं। वर्तमान में प्रो0 भट्ट की प्रयोगशाला में डा0 अमर सिंह, पारुल, रोबिन, रेखा, तमाली, इकबाल आदि शोध-छात्र कार्यरत हैं। कुलपति प्रो0 रूप किशोर शास्त्री ने प्रो0 भट्ट के इस महासम्मेलन में निमंत्रण पर व ब्रिटिश लाइब्रेरी से कोलैबोरेशन प्रक्रिया शुरू करने पर हर्ष व्यक्त किया ।
0 comments:
Post a Comment