* जस्टिस रमन्ना ने कहा कि ये अदालत संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखने, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और सुशासन के लिए है।
* संसदीय परंपराओं और कोर्ट को लेकर बहस होती रही है लेकिन संसदीय परंपराओं में कोर्ट का दखल नहीं होगा।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच फडणवीस सरकार को देश की शीर्ष अदालत ने जोर का झटका धीरे से दिया। महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा दिल्ली से मुंबई तक अपने चरम पर पहुंच चुका है। सोमवार को दिन में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में डेढ़ घंटे की बहस के बाद सुनवाई पूरी कर ली। फैसला पढ़ते हुए जस्टिस रमन्ना ने कहा कि ये अदालत संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखने, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और सुशासन के लिए है बाकी सारे मामले बाद में सुने जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में देवेंद्र फडणवीस सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए करीब 30 घंटे का वक्त दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद फडणवीस सरकार को बुधवार शाम 5 बजे से पहले विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। इस दौरान पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी होगी।
जस्टिस रमन्ना ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि लंबे समय से संसदीय परंपराओं और कोर्ट को लेकर बहस होती रही है लेकिन संसदीय परंपराओं में कोर्ट का दखल नहीं होगा।
अदालत में मौजूद हैं ये लोग
अदालत में इस दौरान शिवसेना की तरफ से अनिल देसाई, गजाजन कार्तिकर, कांग्रेस के मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल और पृथ्वीराज चौहान मौजूद हैं। वहीं कांग्रेस से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी समेत कई वकील अदालत के अंदर है। कोर्टरुम-2 में भीड़ ज्यादा होने की वजह से दरवाजे खोल दिए गए हैं।
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