* जेल मैन्युअल के अनुसार दी जाती है फांसी,फांसी के समय जल्लाद को छोड़ 16 लोग होंगे मौजूद।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। निर्भया के दोषियों की फांसी की सारी औपचरिकताएँ पूरी कर ली गई है। बस इंतजार है तो अदालती फरमान का। निर्भया के दोषियों को सुबह की खामोशी में फांसी दी जाएगी। जेल मैन्युअल के मुताबिक, सुबह सूर्योदय के बाद ही फांसी दी जाती है। आमतौर पर गर्मियों में सुबह छह बजे और सर्दियों में सात बजे फांसी दी जाती है।
फांसी घर लाने से पहले दोषी को सुबह पांच बजे नहलाया जाता है। उसके बाद उसे नए कपड़े पहनाए जाते हैं। फिर चाय पीने के लिए दी जाती है। दोषी से नाश्ते के बारे में पूछा जाता है। अगर वह नाश्ता करना चाहता है तो उसे नाश्ता दिया जाता है। उसके बाद मजिस्ट्रेट दोषी से उनकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछते हैं। उसके बाद उसे काला कपड़ा पहनाकर उसके हाथ को पीछे से बांध कर फांसी घर लाया जाता है। यहां पहुंचने के बाद उसके चेहरे को भी ढंक दिया जाता है। यह सब काम जल्लाद करता है।
फांसी देते वक्त कोई आवाज न हो इसके लिए पूरे बंदोबस्त किए जाते हैं। जब फांसी देने की वक्त आता है तो उसके लिए इशारे के तौर पर रुमाल को गिराया जाता है और जल्लाद लिवर खींचता है।
फांसी देते वक्त कोई आवाज न हो इसके लिए पूरे बंदोबस्त किए जाते हैं। जब फांसी देने की वक्त आता है तो उसके लिए इशारे के तौर पर रुमाल को गिराया जाता है और जल्लाद लिवर खींचता है।
वही साध्वी प्राची ने जेल मैनुअल का स्वागत किया है,उन्होंने कहा कि उनको जेल मैनुअल का पता नहीं था ,लेकिन कोई बात नहीं। साध्वी प्राची ने कहा कि जो वह चाहती थी वही होगा। पर उनकी अभी मांग है कि उन दरिंदो को सरेआम फांसी पर लटकाया जाय।
जेल मैन्युअल के अनुसार दी जाती है फांसी
जेल मैन्युअल के अनुसार, इस दौरान एक डाक्टर, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, जेलर, डिप्टी जेलर और करीब 12 पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं। यहां सारी कार्रवाई इशारों में होती है। ब्लैक वारंट में तय समय पर दोषी को वहां लाकर जल्लाद उसके गर्दन में फंदा डाल देता है।
पहले रुमाल गिरेगा, फिर लिवर खिंचेगा
फिर जेलर के रुमाल गिराकर इशारा करने पर जल्लाद लिवर खींच देता है। लिवर खींचते ही तख्त खुल जाता है और फंदे पर लटका दोषी नीचे चला जाता है। दो घंटे बाद डाक्टर वहां पहुंचकर उसकी जांच करता है। धड़कन बंद होने की पुष्टि होने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया जाता है। उसके बाद उसे फंदा से नीचे उतार लिया जाता है। इस दौरान जेल में कोई काम नहीं होता है। फांसी लगने के बाद ही जेल के दरवाजे को खोला जाता है।
जेल मैन्युअल के अनुसार, इस दौरान एक डाक्टर, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, जेलर, डिप्टी जेलर और करीब 12 पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं। यहां सारी कार्रवाई इशारों में होती है। ब्लैक वारंट में तय समय पर दोषी को वहां लाकर जल्लाद उसके गर्दन में फंदा डाल देता है।
पहले रुमाल गिरेगा, फिर लिवर खिंचेगा
फिर जेलर के रुमाल गिराकर इशारा करने पर जल्लाद लिवर खींच देता है। लिवर खींचते ही तख्त खुल जाता है और फंदे पर लटका दोषी नीचे चला जाता है। दो घंटे बाद डाक्टर वहां पहुंचकर उसकी जांच करता है। धड़कन बंद होने की पुष्टि होने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया जाता है। उसके बाद उसे फंदा से नीचे उतार लिया जाता है। इस दौरान जेल में कोई काम नहीं होता है। फांसी लगने के बाद ही जेल के दरवाजे को खोला जाता है।
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