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Friday, 20 December 2019

नागरिकता कानून के विरोध में ज्यादा हिंसा भाजपा शासित राज्यों में ही हो रही है। आखिर क्यों ? जाने

* देश इस सच को भी समझे। सच पर हावी है झूठ।
* ज्यादातर हिंसा भाजपा शासित राज्यों में ही हो रही है।
*  दिल्ली में कानून व्यवस्था सीधे केन्द्रीय गृहमंत्रालय के अधीन है, तो बिहार में भाजपा के समर्थन से जेडीयू की सरकार चल रही है।
* यूपी, गुजरात कर्नाटक आदि में सीधे तौर पर भाजपा का शासन है।
(एस.पी.मित्तल)
नई दिल्ली। 20 दिसम्बर को भी देश के कई स्थानों पर संशोधित नागरिकता कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ। पिछले पांच दिनों से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में यह देखने में आया है कि ज्यादातर हिंसा भाजपा शासित राज्यों में ही हो रही है। हिंसा का ज्यदा जोर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, बिहार आदि राज्यों में हैें। दिल्ली में कानून व्यवस्था सीधे केन्द्रीय गृहमंत्रालय के अधीन है, तो बिहार में भाजपा के समर्थन से जेडीयू की सरकार चल रही है। यूपी, गुजरात कर्नाटक आदि में सीधे तौर पर भाजपा का शासन है।
गुजरात के अहमदाबाद में जिस तरह से पुलिस वालों को घेर कर पीटा गया, उससे साफ जाहिर है कि प्रदर्शनकारियों की मंशा क्या थी? लखनऊ व यूपी के अन्य जिलों में भी कमोबेश ऐसे ही हालात है। पुलिस पोस्ट जलाई जा रही है तो पुलिस वालों को मारा पीटा जा रहा है। सवाल उठता है कि संशोधित नागरिकता कानून को लेकर क्या भाजपा शासित राज्यों में ही मुसलमानों के मन में नाराजगी है? कांग्रेस या अन्य क्षेत्रीय दल के शासन वाले राज्यों में कोई नाराजगी नहीं है? 19 दिसम्बर को मुम्बई में भी विरोध प्रदर्शन हुआ, लेकिन मुम्बई में कोई हिंसा नहीं हुई। क्या ऐसा इसलिए कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से शिवसेना की सरकार चल रही है? नागरिकता कानून तो राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तसीगढ़, पंजाब आदि राज्यों में भी लागू होगा, लेकिन पूरा देश देख रहा है कि हिंसा सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में ही हो रही है।
लोकतांत्रित व्यवस्था सरकार की नीतियों का विरोध करने का अधिकार है, लेकिन यह विरोध हिंसक नहीं होना चाहिए, जब महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तसीगढ़, पंजाब में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो सकते हैं, तब उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात बिहार, ल्लिी आदि में हिंसा क्यों हो रही है। सबसे महत्सपूर्ण बात यह है कि प्रदर्शन को लेकर मुसलमानों को बेवजह भड़काया जा रहा है। नागरिकता कानून से किसी भी मुसलमान का अहित नहीं होने वाला। इस कानून का मुसलमानों से कोई संबंध नहीं है, लेकिन इसके बावजदू भी देश के कुछ राजनीतिक दलों ने अपने स्वार्थ के खातिर मुसलमानों को सड़कों पर उतार दिया है।
जबकि सब जानते  हैं कि भारत में रहने वाला मुसलमान ज्यादा सुकून और समृद्धि के साथ रह रहा है।  जो मुसलमान आज बेवजह सड़कों पर हैं उन्हें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले मुसलमानों की स्थिति देख लेनी चाहिए। पड़ौसी देश चीन अपनी शर्तों और कानून के तहत मुसलमानों को रखता है। जब मुस्लिम देशों के मुकाबले में मुसलमान भारत में ज्यादा अच्छी तरह रह रहा है, तब पुलिस पर जानलेवा तरीके से पत्थर फेंकना कितना उचित है? मुसलमानों को किसी के भी बहकावे में नहीं आना चाहिए।
(लेखक एक स्वत्रन्त्र पत्रकार और लेखक है ,यहाँ प्रकाशित लेख उनके अपने विचार से है। इससे समाचार पोर्टल का कोई लेना देना नहीं है।

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