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Saturday, 14 December 2019

CM ने PM से क्यों कहा कि महाकुम्भ को देखते हुए नमामि गंगे परियोजना में चिन्हित कार्यों को 2020 में पूरा कर गंगा की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित की जाएगी ? जाने

नमामि गंगे परियोजना में गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी सीवेज प्रबंधन की हो व्यवस्थाः सीएम
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कानपुर में आयोजित हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक। 
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
कानपुर / देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में प्रतिभाग करते हुए नमामि गंगे परियोजना में गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी सीवेज प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति देने व ठोस अपशिष्ठ निस्तारण की व्यवस्था किए जाने का सुझाव दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आगामी कुम्भ में स्थाई व अस्थाई प्रकृति के कार्यों के लिए सहायता का भी अनुरोध किया। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कानपुर में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक आयोजित की गई। इसमें केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत किए गए कार्यों के लिए प्रधानमंत्री और भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे के तहत उत्तराखण्ड में प्राथमिकता के चिन्हित 15 नगरों के लिए स्वीकृत 19 योजनाओं में से 10 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, 05 योजनाएं दिसम्बर 2019 तक, 02 योजनाएं फरवरी 2020 तक, 01 योजना जून 2020 तक व 01 योजना नवम्बर 2020 तक पूर्ण कर ली जाएंगी। प्राथमिकता के इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 70 नालें एनजीबीआरए में स्वीकृत योजनाओं में टैप किए जा चुके हैं। शेष 65 नालों में से 43 नालों को नमामि गंगे में स्वीकृत योजनाओं में टैप कर लिया गया है। शेष 22 नालों को भी जल्द ही टैप कर लिया जाएगा।
 गंगा की मुख्य धारा के अतिरिक्त दो अन्य सहायक नदियों रिस्पना व कोसी के तट पर स्थित नगरों, देहरादून और रामनगर के लिए भी 02 योजनाएं स्वीकृत हुई हैं। इन्हें भी नवम्बर 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि हरिद्वार नगर के जगजीतपुर एसटीपी से निकल रहे 45 एमएलडी परिशोधित जल का पूरा उपयोग कृषि सिंचाई के लिए किया जा रहा है। हरिद्वार, ऋषिकेश व मुनि की रेती में समस्त उपचारित जल का उपयोग कृषि सिंचाई के लिए किया जाएगा। एसटीपी से निकलने वाले स्लज को भी कृषि कार्यों में खाद के रूप में निशुल्क वितरित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवाचार के अंतर्गत उत्तराखण्ड में हरिद्वार में हाल ही में देश के पहले हाईब्रिड एन्यूटी मॉडल पर आधारित 14 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का लोकार्पण केंद्रीय जलशक्ति मंत्री और स्वीडन नरेश की उपस्थिति में किया गया है। नमामि गंगे के तहत ही गंगा किनारे प्रमुख स्थानों पर 21 स्नान घाट और 21 मोक्ष गृह का निर्माण किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिद्वार में 2021 में होने वाले महाकुम्भ को देखते हुए नमामि गंगे परियोजना में चिन्हित कार्यों को 2020 में पूरा कर गंगा की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित की जाएगी। हरिद्वार में 72 घाटों की अत्याधुनिक उपकरणों से सफाई का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आगामी कुम्भ में स्थाई व अस्थाई प्रकृति के कार्यों के लिए सहायता का भी अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी के तट पर 15 प्राथमिकता के नगरों के सभी 196 वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाया जा रहा है। इसमें से 83 वार्डों में सोर्स सेगरीगेशन भी प्रारम्भ हो चुका है। प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है। प्लास्टिक अपशिष्ठ के निस्तारण के लिए 10 नगरों में प्लास्टिक कम्पैक्टर लगाए गए हैं। 04 अन्य नगरों में भी कम्पैक्टर लगाए जाने की प्रक्रिया गतिमान है। निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए वेस्ट टू एनर्जी नीति बनाई गई है। गंगा नदी के तटवर्ती 22 ग्रामों को चिन्हित कर वहां जैविक कृषि को क्लस्टर एप्रोच के माध्यम से प्रोत्साहित करने की कार्ययोजना बनाई गई है। प्रथम चरण में जनपद चमोली, उत्तरकाशी, पौड़ी, रूद्रप्रयाग व टिहरी के कुल 42 ग्रामों में जैविक खेती का कार्य प्रारम्भ हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा वाटिका व बायो डाईवर्सिटी पार्क विकसित करने व नर्सरियां बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है। उत्तरकाशी जनपद में 10 किमी और हरिद्वार में 50 किमी लम्बाई में फ्लड प्लेन जोनिंग की अधिसूचना निर्गत कर दी गई है। शेष क्षेत्रों में सर्वेक्षण व अन्य औपचारिक कार्यवाही जून 2020 तक पूर्ण होगी। नमामि गंगे के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं की मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव स्तर पर समय-समय पर निरंतर समीक्षा की जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा की सहायक नदियों पर स्थित प्रमुख नगरों में भी नमामि गंगे परियोजना में सीवेज प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की जाए।
 हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों को पूर्णतः सीवर लाईन से आच्छादित करने के लिए भारत सरकार की अनुमति से जर्मन बैंक के.एफ.डब्ल्यू. से वित पोषण का अनुबंध हो चुका है। परंतु गंगा की मुख्य धारा के साथ-साथ सहायक नदियों पर स्थित धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण अन्य नगरों में सीवर लाईन बिछाया जाना जरूरी है। इसके लिए नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ठोस अपशिष्ठ का निस्तारण भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए नमामि गंगे परियोजना से भी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाए या स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वायबिलिटी गैप फंडिंग के अनुपात को बढ़ाकर 90ः10 के अनुपात में वित्तीय सहायता दी जाए।
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