* नीलगिरि वन क्षेत्र मामले में देश की सर्वोच्च न्यायालय ने सपष्ट किया अपना रुख।
* संरक्षित क्षेत्र में बने होटलो -रिसॉर्ट्स को सील करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान।
* देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हाथियों के रास्ते में कोई बाधा नहीं आने देंगे।
* हाथियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए रास्ते में अवरोध पर अंकुश जरुरी :सुप्रीम कोर्ट
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
तमिलनाडु। नीलगिरि वन क्षेत्र में बने रिसोर्ट के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ है कि
वह हाथियों के रास्ते में कोई बाधा नहीं आने देगा। कोर्ट ने कहा कि इंसानों को हाथी को रास्ता देना ही होगा। कोर्ट ने संकेत दिया कि वह वन क्षेत्र स्थित होटलों और रिसॉर्ट्स को सील करने के मामले में शिकायतों को सुनने के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में समिति बना सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने नौ अगस्त, 2018 को नीलगिरि के इको-सेंस्टिव जोन में बने 27 व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बंद करने का आदेश दिया था। बुधवार को सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने होटल-रिसॉर्ट मालिकों की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान बेंच ने कहा, हम संवेदनशील इको सिस्टम के मामले में सुनवाई कर रहे हैं। अगर रास्ते में अवरोध पर अंकुश नहीं लगा तो हाथी विलुप्त हो जाएंगे।
शीर्ष अदालत ने कहा, हम हाथियों के रास्ते में कोई रोकटोक नहीं चाहते। इंसानों को उन्हें रास्ता देना होगा। कोर्ट ने साफ किया कि वह संरक्षित क्षेत्र में बने 30 से ज्यादा पुराने व्यावसायिक ढांचों को हटाने पर मुआवजा देने पर विचार करेगा। इससे पहले याचिकाकर्ताओं के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा था कि निर्माण संरक्षित क्षेत्र में नहीं निजी भूमि पर था।
* संरक्षित क्षेत्र में बने होटलो -रिसॉर्ट्स को सील करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान।
* देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हाथियों के रास्ते में कोई बाधा नहीं आने देंगे।
* हाथियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए रास्ते में अवरोध पर अंकुश जरुरी :सुप्रीम कोर्ट
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
तमिलनाडु। नीलगिरि वन क्षेत्र में बने रिसोर्ट के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ है कि
वह हाथियों के रास्ते में कोई बाधा नहीं आने देगा। कोर्ट ने कहा कि इंसानों को हाथी को रास्ता देना ही होगा। कोर्ट ने संकेत दिया कि वह वन क्षेत्र स्थित होटलों और रिसॉर्ट्स को सील करने के मामले में शिकायतों को सुनने के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में समिति बना सकता है।
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(सांकेतिक तस्वीर ) |
सुप्रीम कोर्ट ने नौ अगस्त, 2018 को नीलगिरि के इको-सेंस्टिव जोन में बने 27 व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बंद करने का आदेश दिया था। बुधवार को सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने होटल-रिसॉर्ट मालिकों की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान बेंच ने कहा, हम संवेदनशील इको सिस्टम के मामले में सुनवाई कर रहे हैं। अगर रास्ते में अवरोध पर अंकुश नहीं लगा तो हाथी विलुप्त हो जाएंगे।
शीर्ष अदालत ने कहा, हम हाथियों के रास्ते में कोई रोकटोक नहीं चाहते। इंसानों को उन्हें रास्ता देना होगा। कोर्ट ने साफ किया कि वह संरक्षित क्षेत्र में बने 30 से ज्यादा पुराने व्यावसायिक ढांचों को हटाने पर मुआवजा देने पर विचार करेगा। इससे पहले याचिकाकर्ताओं के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा था कि निर्माण संरक्षित क्षेत्र में नहीं निजी भूमि पर था।
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