*किशोर उपाध्याय को सम्मान देने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र अरुण गांधी व प्रपोत्र तुषार गांधी सम्मान समारोह में मौजूद रहेंगे।
(डॉ श्रीगोपाल नारसन )
हरिद्वार। राजस्थान की स्वयंसेवी सामाजिक संस्था तरुण भारत ने किशोर उपाध्याय को उनके जमीनी संघर्ष के लिए 15 जनवरी को भीकुपुरा,अलवर में सम्मानित करने का निर्णय लिया है।किशोर उपाध्याय को सम्मान देने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र अरुण गांधी व प्रपोत्र तुषार गांधी सम्मान समारोह में मौजूद रहेंगे।निश्चित ही किशोर उपाध्याय को सम्मान मिलना उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है।जमीनी संघर्ष के लिए प्रसिद्ध प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की सोच है कि उत्तराखंड की खनिज संपदा व जल,जंगल जमीन पर उत्तराखंड के लोगो का हक है जो उन्हें नही मिल रहा है।जिसके लिए वे अनवरत लड़ाई लड़ रहे है।उन्होने उत्तराखंड के लोगो को पानी,बिजली व गैस सिलेंडर मुफ्त दिए जाने की मांग है।
किशोर उपाध्याय का मानना है कि उत्तराखंड राज्य बनने का सपना कड़े संघर्षों के बाद पूरा हो पाया, लेकिन अभी तक उत्तराखंड के लोग अपने हको से वंचित है।उन्होंने माना कि उत्तराखंड के जल,जंगल,जमीन पर उत्तराखंड के लोगो का हक हो ,इसके बिना यह सपना अधूरा है। उत्तराखंड राज्य निर्माण के वरिष्ठ आंदोलनकारी एवम प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय उत्तराखंड के हित से जुड़े व लोगो की जनभावनाओं से जुड़े मुद्दे हल न हो पाने व उन्हें उनका वास्तविक हक न मिलने पर आज से उक्त मामलों को लेकर आंदोलन कर रहे है।
किशोर उपाध्याय का जन्म 14 अगस्त, 1958 को सीमान्त पहाड़ी किसान स्व. पीताम्बर दत्त के घर “पाली गाँव”, ख़ास पट्टी, टिहरी गढ़वाल में हुआ, माता श्रीमती एकादशी देवी हैं, जो कि आध्यात्मिक एवं सामान्य पहाड़ी खेती-किसानी करने वाली महिला हैं।सीमान्त खेतीहर एवं वनों पर आधारित ठेठ पहाड़ी किसान परिवार से होने के कारण किशोर उपाध्याय ने पशु चारण से लेकर खेती-किसानी हल जोतने आदि के सभी काम किये हैं।बीहड़ जंगलों का निवासी होने के कारण वे अरण्यजनों व गिरिजनों के कष्टमय जीवन से भली-भाँति बा-वास्ता हैं, क्योंकि उन्होंने उस जीवन को खुद भोगा है।गाँव की ही प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत उन्होंने अंजनीसैण से इंटरमीडियेट, उसके उपरान्त इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा मेरठ विश्वविद्यालय से परास्नातक की शिक्षा ली।
गढ़वाल विश्वविद्यालय आन्दोलन, शराब व नशा विरोधी आन्दोलन, उत्तराखंड राज्य आन्दोलन, टिहरी बांध पुनर्वास आन्दोलन, हिमालय बचाओ आंदोलन, गंगा बचाओ आंदोलन, वनाधिकार आन्दोलन व श्रमिक आंदोलनों से निकट से जुड़े हैं किशोर।
जम्मू कश्मीर से अरुणाचल तक हिमालय बचाओ आन्दोलन के संयोजक रहे हैं।उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के सरंक्षक के रूप में 2 बार जेल यात्रा की है।
उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के दौरान दिल्ली में 13 दिन की भूख हड़ताल तथा टिहरी पुनर्वास की समस्याओं को लेकर देहरादून में 15 दिन की भूख हड़ताल की।बांध विस्थापितों की समस्याओं के सम्बन्ध में महापंचायतों के संयोजक भी किशोर उपाध्याय रहे है।सन 2002 से सन 2012 तक टिहरी से विधायक होने के साथ वे राज्य सरकार में मंत्री, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के 1990 से सदस्य, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मन्त्री, उत्तराखंड कांग्रेस में महामन्त्री व उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं।किशोर उपाध्याय ने रक्षा मंत्रालय व प्रधानमन्त्री कार्यालय में भी कार्य किया है।उन्हें स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी व स्व. श्री राजीव गांधी के साथ निकट से काम करने का सौभाग्य मिला।
इंटेक में निदेशक पद को सुशोभित करने के साथ ही वे मान्यता प्राप्त पत्रकार तथा हैम रेडियो से जुड़े रहे हैं।उन्हें देश मे जल, जंगल व ज़मीं से जुड़े सरोकारों के प्रति समर्पित व्यक्त्वि माना जाता है।तभी तो उन्हें यह गौरवपूर्ण सम्मान मिल रहा है।जिसके लिए उन्हें बधाई देना तो बनता ही है।
(डॉ श्रीगोपाल नारसन )
हरिद्वार। राजस्थान की स्वयंसेवी सामाजिक संस्था तरुण भारत ने किशोर उपाध्याय को उनके जमीनी संघर्ष के लिए 15 जनवरी को भीकुपुरा,अलवर में सम्मानित करने का निर्णय लिया है।किशोर उपाध्याय को सम्मान देने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र अरुण गांधी व प्रपोत्र तुषार गांधी सम्मान समारोह में मौजूद रहेंगे।निश्चित ही किशोर उपाध्याय को सम्मान मिलना उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है।जमीनी संघर्ष के लिए प्रसिद्ध प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की सोच है कि उत्तराखंड की खनिज संपदा व जल,जंगल जमीन पर उत्तराखंड के लोगो का हक है जो उन्हें नही मिल रहा है।जिसके लिए वे अनवरत लड़ाई लड़ रहे है।उन्होने उत्तराखंड के लोगो को पानी,बिजली व गैस सिलेंडर मुफ्त दिए जाने की मांग है।
किशोर उपाध्याय का मानना है कि उत्तराखंड राज्य बनने का सपना कड़े संघर्षों के बाद पूरा हो पाया, लेकिन अभी तक उत्तराखंड के लोग अपने हको से वंचित है।उन्होंने माना कि उत्तराखंड के जल,जंगल,जमीन पर उत्तराखंड के लोगो का हक हो ,इसके बिना यह सपना अधूरा है। उत्तराखंड राज्य निर्माण के वरिष्ठ आंदोलनकारी एवम प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय उत्तराखंड के हित से जुड़े व लोगो की जनभावनाओं से जुड़े मुद्दे हल न हो पाने व उन्हें उनका वास्तविक हक न मिलने पर आज से उक्त मामलों को लेकर आंदोलन कर रहे है।
किशोर उपाध्याय का जन्म 14 अगस्त, 1958 को सीमान्त पहाड़ी किसान स्व. पीताम्बर दत्त के घर “पाली गाँव”, ख़ास पट्टी, टिहरी गढ़वाल में हुआ, माता श्रीमती एकादशी देवी हैं, जो कि आध्यात्मिक एवं सामान्य पहाड़ी खेती-किसानी करने वाली महिला हैं।सीमान्त खेतीहर एवं वनों पर आधारित ठेठ पहाड़ी किसान परिवार से होने के कारण किशोर उपाध्याय ने पशु चारण से लेकर खेती-किसानी हल जोतने आदि के सभी काम किये हैं।बीहड़ जंगलों का निवासी होने के कारण वे अरण्यजनों व गिरिजनों के कष्टमय जीवन से भली-भाँति बा-वास्ता हैं, क्योंकि उन्होंने उस जीवन को खुद भोगा है।गाँव की ही प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत उन्होंने अंजनीसैण से इंटरमीडियेट, उसके उपरान्त इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा मेरठ विश्वविद्यालय से परास्नातक की शिक्षा ली।
गढ़वाल विश्वविद्यालय आन्दोलन, शराब व नशा विरोधी आन्दोलन, उत्तराखंड राज्य आन्दोलन, टिहरी बांध पुनर्वास आन्दोलन, हिमालय बचाओ आंदोलन, गंगा बचाओ आंदोलन, वनाधिकार आन्दोलन व श्रमिक आंदोलनों से निकट से जुड़े हैं किशोर।
जम्मू कश्मीर से अरुणाचल तक हिमालय बचाओ आन्दोलन के संयोजक रहे हैं।उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के सरंक्षक के रूप में 2 बार जेल यात्रा की है।
उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के दौरान दिल्ली में 13 दिन की भूख हड़ताल तथा टिहरी पुनर्वास की समस्याओं को लेकर देहरादून में 15 दिन की भूख हड़ताल की।बांध विस्थापितों की समस्याओं के सम्बन्ध में महापंचायतों के संयोजक भी किशोर उपाध्याय रहे है।सन 2002 से सन 2012 तक टिहरी से विधायक होने के साथ वे राज्य सरकार में मंत्री, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के 1990 से सदस्य, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मन्त्री, उत्तराखंड कांग्रेस में महामन्त्री व उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं।किशोर उपाध्याय ने रक्षा मंत्रालय व प्रधानमन्त्री कार्यालय में भी कार्य किया है।उन्हें स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी व स्व. श्री राजीव गांधी के साथ निकट से काम करने का सौभाग्य मिला।
इंटेक में निदेशक पद को सुशोभित करने के साथ ही वे मान्यता प्राप्त पत्रकार तथा हैम रेडियो से जुड़े रहे हैं।उन्हें देश मे जल, जंगल व ज़मीं से जुड़े सरोकारों के प्रति समर्पित व्यक्त्वि माना जाता है।तभी तो उन्हें यह गौरवपूर्ण सम्मान मिल रहा है।जिसके लिए उन्हें बधाई देना तो बनता ही है।
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