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Friday, 10 January 2020

ऊर्जा विभाग के निगमों पर हो सरकार/शासन का हस्तक्षेप ! आखिर क्यों ? जाने

◇वर्ष 2008 में तत्कालीन मुख्य सचिव दे चुके शासन को निर्देश।                           
◇निगमों की स्वायत्तता पर हो शासन की लगाम।                           
◇स्वायत्तता का लाभ उठाकर किया जाता है करोड़ों का घोटाला।
◇तीनों निगम यूपीसीएल,यूजेविएनएल, पिटकुल नहीं आना चाहते शासन के अधीन।                   
◇वर्ष 2013 में शासन ही झाड़ चुका है पल्ला।   
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान ) 
 विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि ऊर्जा विभाग के तीनों निगमों यथा यूपीसीएल, यूजेवीएनएल व पिटकुल को पूर्व में स्वायत्तता प्रदान की गई थी, जिसके चलते इन निगमों में प्रबंध निदेशकों का एकछत्र राज चलता था | उक्त मामले में कर्मचारियों के पद सृजन, उच्चीकरण, वेतन निर्धारण आदि तमाम मामलों में शासन की अनुमति लेने के आदेश तत्कालीन मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे द्वारा 10/ 12 /2008 को दिए गए थे ,तथा उक्त मामले में पांडे द्वारा कड़ी आपत्ति जताई गई थी |
नेगी ने कहा कि तत्कालीन मुख्य सचिव के निर्देश पर पत्रावली वर्ष 2013 में गतिमान हुई ,जिसके क्रम में उर्जा निगम के तीनों प्रबंध निदेशकों द्वारा एक सुर में फिर से स्वायत्तता की बात कही यानी एक तरह से शासन के अधीन आने से असहमति जता दी | उक्त के पश्चात शासन ने पत्रावली पर मंथन कर मुख्य सचिव के आदेश 25/10/ 2013 को हवा में उड़ा दिए |
 नेगी ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि इन निगमों में 100 फीसदी अंशधारिता राज्य सरकार की है तथा इन निगमों द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों -अरबों रुपए की खरीद-फरोख्त, अनुरक्षण, नव निर्माण आदि तमाम मामलों में घोटाले किए जाते हैं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगती है |इस मामले में लगाम कसनी ही चाहिए |  मोर्चा सरकार से मांग करता है प्रदेश हित में इन निगमों की स्वायत्तता समाप्त कर अपने नियंत्रण में लें, जिससे जनता की गाढ़ी कमाई को लुटने से बचाया जा सके | पत्रकार वार्ता में - मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, सुशील भारद्वाज आदि थे |
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