* निर्भया गैंगरेप केस के दोषियों में से मुकेश कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ख़ारिज किये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है।
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप केस के दोषियों में से मुकेश कुमार सिंह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और अपनी दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज किए जाने के विरोध में अपनी अपील पर तत्काल सुनवाई की मांग की है। देश की सर्वोच्च अदालत ने दोषी मुकेश के वकील से कहा कि वह शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी के समक्ष सोमवार को ही याचिका का उल्लेख करें। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने मुकेश की याचिका पर कहा कि अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इस मामले की सुनवाई से अधिक जरूरी कुछ नहीं हो सकता है।
2012 में हुआ था बर्बर निर्भया गैंगरेप
गौरतलब है कि 2012 में पैरामेडिकल की छात्रा का बर्बर सामूहिक बलात्कार हुआ था और उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया था। घटना के कुछ दिन बाद छात्रा की मौत हो गई थी। मुकेश कुमार (32) की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की पीठ ने कहा, ‘अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इससे अधिक आवश्यक कुछ और हो ही नहीं सकता" साथ ही उन्होंने कुमार के वकील को शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी से संपर्क करने को कहा। पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी थे।
चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह 6 बजे दी जानी है फांसी
गौरतलब है कि निर्भया मामले के चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी है। उच्चतम न्यायालय द्वारा मुकेश की दोषसिद्धी और मौत की सजा के खिलाफ दायर सुधारात्मक याचिका खारिज करने के बाद मुकेश कुमार सिंह ने दया याचिका दायर की थी।
पवन के पिता द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर कोर्ट ने सुरक्षित रखा आदेशदिल्ली के एक सत्र न्यायालय ने निर्भया गैंगरेप मामले के एक और दोषी पवन के पिता द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। इस याचिका में उसने गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था और कहा था कि गवाह को पहले से यह सिखाया गया था कि उसे किस सवाल के जवाब में क्या बोलना है।
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नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप केस के दोषियों में से मुकेश कुमार सिंह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और अपनी दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज किए जाने के विरोध में अपनी अपील पर तत्काल सुनवाई की मांग की है। देश की सर्वोच्च अदालत ने दोषी मुकेश के वकील से कहा कि वह शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी के समक्ष सोमवार को ही याचिका का उल्लेख करें। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने मुकेश की याचिका पर कहा कि अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इस मामले की सुनवाई से अधिक जरूरी कुछ नहीं हो सकता है।
2012 में हुआ था बर्बर निर्भया गैंगरेप
गौरतलब है कि 2012 में पैरामेडिकल की छात्रा का बर्बर सामूहिक बलात्कार हुआ था और उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया था। घटना के कुछ दिन बाद छात्रा की मौत हो गई थी। मुकेश कुमार (32) की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की पीठ ने कहा, ‘अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इससे अधिक आवश्यक कुछ और हो ही नहीं सकता" साथ ही उन्होंने कुमार के वकील को शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी से संपर्क करने को कहा। पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी थे।
चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह 6 बजे दी जानी है फांसी
गौरतलब है कि निर्भया मामले के चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी है। उच्चतम न्यायालय द्वारा मुकेश की दोषसिद्धी और मौत की सजा के खिलाफ दायर सुधारात्मक याचिका खारिज करने के बाद मुकेश कुमार सिंह ने दया याचिका दायर की थी।
पवन के पिता द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर कोर्ट ने सुरक्षित रखा आदेशदिल्ली के एक सत्र न्यायालय ने निर्भया गैंगरेप मामले के एक और दोषी पवन के पिता द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। इस याचिका में उसने गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था और कहा था कि गवाह को पहले से यह सिखाया गया था कि उसे किस सवाल के जवाब में क्या बोलना है।
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