9 करोड़ रुपए नकद मिले। आखिर किधर जा रही है राजनीति।
=(व्यूरो ,न्यूज़ 1 हिंदुस्तान )
दिल्ली /भोपाल | 7 अप्रैल को आयकर विभाग ने मध्यप्रदेश के कांगे्रसी मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों पर छापेमारी की। इंदौर, भोपाल, नोएडा, दिल्ली आदि में मारे गए छापों में 9 करोड़ रुपए नकद बरामद किए गए। ये छापे कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़, मित्र राजेन्द्र मिगलानी आदि के ठिकानों में मारे। चुनाव का दौर चल रहा है, इसलिए कांग्रेस ने छापों को राजनीति से प्रेरित बताया है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या किसी सीएम के मित्रों को नियमों के विरुद्ध काम करने का अधिकार है? जब राजनीति में जन सेवा की भावना से आया जाता है तब इस तरह की बेईमानी क्यों? कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों अपनी चुनावी सभाओं में मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार का बार-बार उदाहरण दे रहे हैं। सभाओं में सीएम कमलनाथ की भी जमकर तारीफ की जाती है, सवाल उठता है कि हमारे देश की राजनीति आखिर किधर जा रही है? जिस सीएम को अच्छा बताया जा रहा है उसी सीएम के करीबियों पर छापे पड़ रहे हैं। आखिर इन करीबियों के पास करोड़ों रुपए कहां से आ रहा है? छापों में राजनीति तलाशना अलग बात है, लेकिन छापों में करोड़ों रुपए मिल तो रहा है। कांग्रेस के सीएम के मित्र हैं तो क्या उन्हें बेईमानी करने की छूट है? अक्सर कहा जाता है कि राजनेताओं की बेईमानी पर कोई कार्यवाही नहीं होती। वोट देने वाले गरीब आदमी का भी मानना होता है कि एक बार सांसद-मंत्री बनने के बाद सात पीढिय़ों का इंतजाम हो जाता है। अब जब ऐसे माहौल में कार्यवाही हो रही है तो एतराज क्यों? यदि कांग्रेस को लगता है कि सत्तारुढ़ भाजपा के इशारे पर हो रहा है तो जहां कांगे्रस की सरकारें हैं वहां कांगे्रस भी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के माध्यम से भाजपा के नेताओं और उनके करीबियों पर कार्यवाही करवा सकती है। जब भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के विरुद्ध कार्यवाही होगी तो सबसे ज्यादा खुशी आम व्यक्ति को होगी। कांगे्रस के नेताओं को कमलनाथ के करीबियों पर छापेमारी का विरोध करने के बजाए राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तसीगढ़, पंजाब, कर्नाटक आदि कांग्रेस शासित राज्यों में भाजपा के नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करवानी चाहिए, तभी राजनीति में स्वच्छता आएगी।
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दिल्ली /भोपाल | 7 अप्रैल को आयकर विभाग ने मध्यप्रदेश के कांगे्रसी मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों पर छापेमारी की। इंदौर, भोपाल, नोएडा, दिल्ली आदि में मारे गए छापों में 9 करोड़ रुपए नकद बरामद किए गए। ये छापे कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़, मित्र राजेन्द्र मिगलानी आदि के ठिकानों में मारे। चुनाव का दौर चल रहा है, इसलिए कांग्रेस ने छापों को राजनीति से प्रेरित बताया है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या किसी सीएम के मित्रों को नियमों के विरुद्ध काम करने का अधिकार है? जब राजनीति में जन सेवा की भावना से आया जाता है तब इस तरह की बेईमानी क्यों? कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों अपनी चुनावी सभाओं में मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार का बार-बार उदाहरण दे रहे हैं। सभाओं में सीएम कमलनाथ की भी जमकर तारीफ की जाती है, सवाल उठता है कि हमारे देश की राजनीति आखिर किधर जा रही है? जिस सीएम को अच्छा बताया जा रहा है उसी सीएम के करीबियों पर छापे पड़ रहे हैं। आखिर इन करीबियों के पास करोड़ों रुपए कहां से आ रहा है? छापों में राजनीति तलाशना अलग बात है, लेकिन छापों में करोड़ों रुपए मिल तो रहा है। कांग्रेस के सीएम के मित्र हैं तो क्या उन्हें बेईमानी करने की छूट है? अक्सर कहा जाता है कि राजनेताओं की बेईमानी पर कोई कार्यवाही नहीं होती। वोट देने वाले गरीब आदमी का भी मानना होता है कि एक बार सांसद-मंत्री बनने के बाद सात पीढिय़ों का इंतजाम हो जाता है। अब जब ऐसे माहौल में कार्यवाही हो रही है तो एतराज क्यों? यदि कांग्रेस को लगता है कि सत्तारुढ़ भाजपा के इशारे पर हो रहा है तो जहां कांगे्रस की सरकारें हैं वहां कांगे्रस भी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के माध्यम से भाजपा के नेताओं और उनके करीबियों पर कार्यवाही करवा सकती है। जब भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के विरुद्ध कार्यवाही होगी तो सबसे ज्यादा खुशी आम व्यक्ति को होगी। कांगे्रस के नेताओं को कमलनाथ के करीबियों पर छापेमारी का विरोध करने के बजाए राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तसीगढ़, पंजाब, कर्नाटक आदि कांग्रेस शासित राज्यों में भाजपा के नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करवानी चाहिए, तभी राजनीति में स्वच्छता आएगी।
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