देहरादून। आज दिनांक शहर के एक बैंक्वैट हाॅल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए श्री रविंद्र आनंद ने सीपीयू प्रकरण में सवाल उठाए कि आखिरकार पुलिस का अंतरिम विडियो कैसे लीक हुआ जबकि जब उनके द्वारा सीपीयू के आलाधिकारियों एवं पुलिस के आलाधिकारियों से इस विडियो की मांग की गई थी तो उन्हे कानून का हवाला देते हुए यह कहा गया कि जांच पूरी हो जाने एवं निर्णय आ जाने के बाद आप इस विडियो को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर प्राप्त कर सकते है।
श्री आनंद ने कहा कि यदि पुलिस को यह विडियो लीक ही करना था तो उसमें 22 दिन का समय क्यों लगा। क्या इस विडियो को एडिट करने के लिए समय चाहिए था। विडियो में यह साफ दिख रहा है कि मेरी नैनो कार सड़क के किनारे खड़ी हुई है और सीपीयू कर्मचारी मुझ पर जबरन चालान का प्रेशर बना रहे है और चाबी छीनने की बात कर रहे है। साथ ही जब मै दोबारा उनके पास आता हूं तो मुझे कार से खींचने व चाबी छीनने का प्रयास करते है।
श्री आनंद ने कहा कि जैसा कि मै पहले दिन से कह रहा हूं कि मेरी गाड़ी साइड में रुकी हुई थी, और मै किसी का चालान छुड़वाने जा रहा था उससी दौरान सीपीयू कर्मचारियों शैलेंद्र सिंह नेगी एवं कुलदीप सैनी ने बदतमीजी की। मेरे द्वारा जो सीसीटीवी फुटेज प्राप्त कर वायरल किया गया और पुलिस का जो विडियो लीक हुआ या उनके द्वारा जानबूझ कर किया गया उसमें ज्यादा फर्क नहीं है। उसमें भी सीपीयू कर्मचारी गलत साबित हो रहे थे और इसमें भी वे ही गलत साबित हो चुके है। मुझसे उसमें भी मारपीट की जा रही थी और पुलिस के विडियो में भी मै ही स्वयं को छुड़वा रहा हूं और चाबी न देने की बात कर रहा हूं। मै ही उनसे चालान करने की बात कर रहा हूं और वे मुझ पर चाबी देने का दबाव बना रहे है। दूसरी बात यह कि वह स्थान एक मौहल्ला है तो क्या इस प्रकार डरा धमका कर पीछा किया जाना, चालान का दबाव बनाना, मारपीट करना, चाबी छीनना आदि की इजाजत कानून देता है।
वार्ता में पंजाबी महासभा के जिलाध्यक्ष राजीव सच्चर जी, सिख फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष गुरदीप सिंह टोनी जी, सुधीर कपूर जी, प्रेम सिंह यादव जी, मुरारी यादव जी, मनीष थापा जी आदि मौजूद थे।
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