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Wednesday, 24 July 2019

उत्तराखंड सरकार के किस कदम से सरकारी कर्मचारी में मचा हड़कंप ? जानने के लिए पढ़ें

उत्तराखंड में छंटनी की तैयारी, सरकारी कर्मचारियों में हड़कंप
(ब्यूरो, न्यूज 1 हिंदुस्तान)
देहरादून। उत्तराखंड सरकार एक ऐसा कदम उठाने जा रही है जो ऐसे सरकारी कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले लंबित हैं या जिन पर लापरवाह या अकर्मण्य होने के आरोप लगते रहे हैं।
        केंद्र सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए अब उत्तराखंड में भी 50 साल की आयु पूरी कर चुके लापरवाह और भ्रष्ट कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृति पर भेजने की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कई मौकों पर इस बात को कह चुके हैं कि नाॅन परफार्मर और भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इसी माह कार्मिक विभाग की ओर से विभिन्न विभागों को निर्देश जारी कर ऐसे कर्मचारियों का ब्योरा मांगा गया है। विभागों में स्क्रीनिंग शुरू होने के बाद हड़कंप की स्थिति है। इस छंटनी की जद में सबसे पहले वे विभाग आएंगे जहां कर्मचारियों की संख्या अधिक है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पीडब्लूडी, सिंचाई, ऊर्जा निगम, शहरी विकास जैसे विभाग शामिल हैं। इसके लिए जरूरी है कि अनुपयोगी कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। सरकार के इस फैसले से कर्मचारी आशंकित हैं। गौरतलब है कि उत्तराखंड में अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश कोई नया नहीं है। 2002 में कार्मिक विभाग ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश जारी कर अनुपयोगी कार्मिकों की स्क्रीनिंग के आदेश दिए थे। ये आदेश उसके बाद प्रतिवर्ष जारी होते रहे, हालांकि इन पर कभी अमल नहीं हो पाया। इस बार मुख्यमंत्री द्वारा खुद इसमें रूचि दिखाए जाने से कर्मचारियों में हड़कंप है। अनिवार्य सेवानिवृति के तहत 50 वर्ष की आयु प्राप्त किसी सरकारी सेवक को अनिवार्य रूप से रिटायर किए जाने की व्यवस्था दी गई है। इसके तहत गुजरात बनाम उमेद भाई ए पटेल के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बारे में दिए गए दिशा निर्देशों को आधार बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि जब किसी लोक सेवक की सेवा सामान्य प्रशासन के लिए उपयोगी नहीं रह गई हो तो उसे लोकहित में अनिवार्य सेवानिवृत्त किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने ताकीद की है कि छंटनी का आदेश कर्मचारी की सेवा के संपूर्ण रिकार्ड को ध्यान में रखकर ही किया जाए. इसमें गोपनीय रिकाॅर्ड में प्रतिकूल प्रविष्टि को प्राथमिकता भी दी जाएगी।
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