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Sunday, 11 August 2019

फर्जीवाड़ा मामले में सरकार ने नहीं की सुभारती मेडिकल काॅलेज संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई !आखिर क्यों ? जाने

जमीन/सम्पति के मालिकों को सुभारती के संचालको द्वारा दिये गए करोड़ांे रूपये के चैक भी बाउन्स हो गए। 
सुभारती के धोखेबाज इन संचालकों ने मिलकर और एक राय होकर 300 एमबीबीएस के छात्रो को भी तगड़ा चूना लगाया
 (ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। सुभारती मेडिकल कॉलेज के संचालकांे ने देहरादून में जहाँ मेडिकल कॉलेज चलाया जा रहा था उसके मालिको से सिर्फ एग्रीमेंट किया था और अपने को मालिक बताने लगे यही नहीं सुभारती के संचालकों ने जमीन/सम्पति के मालिकों के बैंकों के कर्जों की अदायगी भी एग्रीमेंट में लिखने के बावजूद नहीं की। और जमीन/सम्पति के मालिकों को सुभारती के संचालको द्वारा दिये गए करोड़ांे रूपये के चैक भी बाउन्स हो गए। दोनांे पक्षांे के बीच विवाद न्यायालय में चल रहा है। यही नही सुभारती के धोखेबाज इन संचालकों ने मिलकर और एक राय होकर 300 एमबीबीएस के छात्रो को भी तगड़ा चूना लगाया और इनसे अरबांे रुपये की ठगी कर ली। 
जानकारी के अनुसार सुभारती ने कई छात्रों व अभिभावको से पूरे पांच साल का एमबीबीएस पास करवाने का ठेका मुका दिया था और अपनी फर्जी रूप से बनाई गई निजीयूनिवर्सिटी रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी से उनको पहले साल की फर्जी मार्कशीट भी थमा दी थी। जब सुभारती मेडिकल कॉलेज के संचालकांे अतुल भटनागर व यशवर्धन रस्तोगी सहित आठो ट्रस्टियों के फर्जीवाड़े का सबको पता चला तो फटाफट छात्रो व अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और रिट दाखिल की।
सुप्रीम कोर्ट ने इतना बड़ा फर्जीवाड़ा देखते हुए उत्तराखंड डीजीपी को तत्काल 2 घंटे के भीतर चलती कोर्ट से सुभारती सील करने के आदेश दिए और कहा कि अभी लंच पर जा रहे है और जब लंच से आये तो कॉलेज सील हो जाना चाइए। ततपश्चात डीजीपी ने 2 घंटे के भीतर कॉलेज को सील कर दिया और राज्य सरकार ने अपने सुपुर्द ले लिया। सुप्रीम कोर्ट ने अंततोगत्वा सुभारती के सारे फर्जीवाड़े को देखते हुए एमबीबीएस के 300 छात्रो को उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट करने के आदेश दिए। हालाँकि यह 300 छात्र फर्जी सुभारती मेडिकल कॉलेज देहरादून में पढ़ रहे थे और इनका सरकारी कॉलेजो पर सीट का दावा करने का कोई अधिकार नहीं था।  और अपनी मर्जी से सुभारती मेडिकल कॉलेज देहरादून में भर्ती हुए थे और राज्य सरकार चाहती तो एडमिशन देने से मना भी कर सकती थी पर छात्रो के भविष्य व परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में सहमति दी और इन छात्रो के च्ळ करने तक कि राह खुल गयी राज्य सरकार ने कहा कि इनको राज्य के 3 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन देने से राज्य सरकार पर लगभग 150 करोड का भार पड़ेगा और यदि सुभारती से ये वसूली की जाए तभी इन छात्रो की पढ़ाई हो पाएगी अन्यथा नही क्योंकि 100 छात्रों पर तो एक मेडिकल कॉलेज ही खुल जाता है और एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना पर 100 करोड़ से कम खर्चा नही आता यहाँ तो 5 साल के लिए प्रोफेसर व अन्य भौतिक सुख सुबिधाओं सहित होस्टल,प्रेक्टिकल,परीक्षा ,उपकरण,यंत्र,मशीने आदि तक कि जिम्मेदारी राज्य सरकार के ऊपर आ पड़ी है जबकि राज्य सरकार के पास तनख्वाह देने को पैसे नही है और तीसरी बार राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये ब्याज पर लेने पड़ रहे है। इतना सब होने के बाद राज्य सरकार के निदेशक चिकित्सा शिक्षा युगल किशोर पन्त के द्वारा सुभारती की 113 करोड़ की रिकवरी निकालते हुए जिलाधिकारी देहरादून को वसूली के निर्देश दिए थे जिसपर सुभारती ने उच्च न्यायालय नैनीताल में याचिका लगाई थी कि राज्य सरकार की रिकवरी पर स्टे दिया जाए यानी चोरी और ऊपर से सीना जोरि।
 उच्च न्यायालय नैनीताल के न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने सुभारती की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि सुभारती 25 करोड़ 2 सप्ताह में जमा करे तभी आगे उनकी याचिका पर सुनवाई हो सकती है जिसे सुभारती ने चीफ जस्टिस उत्तराखंड की डबल बैंच में चुनौती दी। उच्च न्यायालय नैनीताल की डबल बैंच ने अपने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए लिखा कि राज्य सरकार ने बताया कि सुभारती सम्पति का मालिक नहीं है और जमीन्सम्पति को लेकर कई विवाद लंबित है व सुभारती ने जो फ्रॉड किया है वह गभीर है जिसे डब्प् ने भी स्वीकार किया है कि सुभारती द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया है। ऐसे में सिंगल बेंच का निर्णय सही पाते हुए सुभारती  तत्काल 25  करोड़ जमा करें व सुभारती की अपील डबल बेंच ने डिसमिस कर दी। सुभारती यदि 25 करोड़ 2 दिन में नहीं जमा करेगा तो सुभारती को 97 करोड़ रुपये पूरे एक साथ भुगतान करने होंगे नही तो सुभारती की सारी संपत्ति नीलाम की जाएगी और 97 करोड़ रुपये देहरादून की विवादित सम्पति से तो मिलने से रहे।
तब सुभारती के संचालक अतुल भटनागर की मेरठ सहित अन्य संपत्तियों की नीलामी की जाएगी तभी 97 करोड़ वसूल हो पाएंगे। हालांकि इसके बाद भी सुभारती की परेशानी कम नहीं होगी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार सुभारती ने बिना काटे अभी तक 2 लाख प्रति छात्र सिक्योरिटी वापस नहीं की है तथा 300 छात्रों से वसूली 3 अरब फीस भी वापिस नही की है साथ ही जिन छात्रों से 5 साल का ठेका किया था उनसे भी  सुभारती एडवांस लगभग 2 अरब वसूल चुका है और उन सबके 3 साल बर्बाद हो गए है और वे सब मिलकर सुप्रीम कोर्ट में 50-50 लाख कॉम्पेनशेशन की याचिका दायर कर रहे है। यानी सुभारती को अपनीं  मेरठ व देहरादून झाझरा की समस्त सम्पति बेचनी होगी (कोटडा संतौर नंदा की चैकी की संपत्ति तो विवादित है जो सील हो सकती है ) और जो फीस छात्रो से ली है वापस करनी होगी अन्यथा सरकार नीलाम कर देगी। इतना सब फर्जीवाड़ा होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार द्वारा न तो सुभारती के संचालकों के खिलाफ कोई एफआईआर करवाई है और न कोई कड़ी कार्यवाही। यहाँ तक कि छात्रो व अभिभावको की शिकायतें पुलिस व निदेशालय में धूल खा रही हैं। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही ये सब गुनाहगार सलाखों के पीछे होंगे।
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