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Saturday, 21 September 2019

क्या आप जानते हैं कि गत 17 वर्षों में करीब 1 लाख 28 हजार 493 अस्थि कलशांे का वैदिक रीति से गंगा में विसर्जन कर चुकी है।

वैदिक विधि विधान से गंगा में विसर्जित की गयी लावारिस अस्थियां
-मोक्ष दायिनी है मां गंगाः महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत
( ब्यूरो, न्यूज़ 1 हिंदुस्तान)
हरिद्वार। देश विदेश के शमशान घाटों से एकत्र कर लायी गयी लावारिस व्यक्तियों की अस्थियों को विश्व सनातन धर्म परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कालिका पीठाधीश्वर महंत स्वामी सुरेंद्रनाथ अवधूत महाराज, श्री देवोत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र तथा महामंत्री विजय शर्मा के संयोजन तथा संत महापुरूषों के सानिध्य में पूर्ण वैदिक विधी विधान तथा मंत्रोच्चारण के साथ 100 किलो दूध की धारा के साथ कनखल स्थित सती घाट पर गंगा में विसर्जित की गयी। इसके पूर्व अस्थि कलशों को बैण्ड बाजों व सुन्दर झांकियों के साथ शोभायात्रा के रूप में उत्तरी हरिद्वार स्थित निष्काम सेवा ट्रस्ट से सतीघाट लाया गया। 
अस्थि प्रवाह के अवसर पर महंत स्वामी सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा कि हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में अंतिम संस्कार के रूप में मृत्यु के पश्चात अस्थियां गंगा में विसर्जित किए जाना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म शास्त्रों वर्णित किया गया है कि मृत्यु के पश्चात मृतक की अस्थियां गंगा में प्रवाहित किए बिना मृतक आत्मा को मोक्ष प्राप्त नहीं होता है। दुर्भाग्यवश लावारिस अवस्था में मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित नहीं हो पाती हैं। ऐसे लावारिस व्यक्तियों की अस्थियों को देश भर के शमशान से एकत्र कर विधि विधान के साथ गंगा में प्रवाहित करने का अभियान श्री देवोत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र द्वारा शुरू किया गया। जिसके लिए समिति व समिति के समस्त पदाधिकारी साधुवाद के पात्र हैं। अनिल नरेंद्र ने बताया पिछले 17 वर्ष से चल रहे अभियान के तहत इस वर्ष देश भर के विभिन्न शमशान से एकत्र किए गए 8,296 अस्थि कलश गंगा में प्रवाहित करने में के लिए हरिद्वार लाए गए हैं। जिनमें सिंगापुर से लाए गए अस्थि कलश भी शामिल हैं। अस्थि कलशों को दिल्ली में एकत्र करने के बाद शोभायात्रा के रूप में हरिद्वार लाया गया। उन्होंने बताया कि समिति विगत 17 वर्षों में करीब 1 लाख 28 हजार 493 अस्थि कलशांे का वैदिक रीति से गंगा की गोद  में विसर्जन कर चुकी है। पाकिस्तान में वर्षों से रखे 295 अस्थि कलशों को भी 2011 व 2016 में भारत लाकर गंगा में विसर्जित किया गया है। समिति के महामंत्री एवं अस्थि कलश यात्रा के संयोजक विजय शर्मा ने बताया कि समिति की वरिष्ठ सदस्या बीना बुदकी के अथक प्रयास से सिंगापुर व दुबई से भी करीब 8 अस्थि कलश हरिद्वार लाए गए हैं। महाराष्ट्र व अहमदाबाद से भी कुल 386 अस्थि कलश आए हैं। उन्होंने बताया कि समिति ने पाकिस्तान के बाद दुबई और सिंगापुर में हिंदू भाई.बहनों के अस्थि कलशों को एकत्रित करने की मुहिम भी शुरू की है। हिमाचल प्रदेश से पं.पवन कुमार बंटी के सौजन्य से 312 अस्थि कलश लाए गए हैं। विजय शर्मा ने बताया कि इस पुण्य कार्य में शासन प्राासन का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्द्र सिंह महाराज ने कहा कि लावारिस अस्थियों को मां गंगा की गोद मिली है। इस कार्य को करने वाले अवश्य ही पुण्य के भागी बनेंगे। भारत के विभिन्न राज्यों से लावारिस अस्थियों को एकत्र करना बड़ी कठिनाईयों भरा कार्य है। लेकिन देवोत्थान समिति के सदस्य निस्वार्थ भाव से इस पुण्य कार्य को अंजाम दे रहे हैं। इस अवसर पर महंत देवानंद सरस्वती, महंत सतनाम सिंह, महंत हरभजन सिंह, महंत जसकरण सिंह, संजय सैनी, अतुल शर्मा, विकास गर्ग, नीरव साहू, अमित वालिया, रविन्द्र गोयल, डीके भार्गव, नितिन माणा, सुनील अग्रवाल, दलीप भाई, कन्हैया लाल, विष्णु शास्त्री, मुकुल मित्तल, राजीव तुम्बड़िया, सुरेंद्र रूस्तगी, दिनेश भट्ट, राकेश बजरंगी, शिवकुमार कश्यप, प्रमोद शर्मा, दिव्यांशु वर्मा, चंद्रधर काला, चंद्रप्रकाश शुक्ला, जानकी प्रसाद, श्रीराम विजय, उत्कर्ष कुमार, रमन शर्मा, रिदम कुमार, मुकेश बेनीवाल, संजय कौशिक, रतन मेहरोलिया, अनिल गुप्ता, नकुल यादव आदि मौजूद रहे। 
अस्थि कलश यात्रा का चेतन ज्योति आश्रम पर भव्य रूप से पुष्पांजलि अर्पित कर स्वागत किया गया। महंत शिवम महाराज ने कहा कि देवोत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में प्रतिवर्ष किया जाने वाला अस्थि विसर्जन का कार्य बहुत ही सराहनीय है। लावारिस अस्थियों को विसर्जित कर उन्हें मोक्ष प्रदान दिलाने से सहस्त्र गुणा पुण्य फल की प्राप्ति होती है। सभी को इस प्रकार के कार्यो में सहयोग करना चाहिए। स्वामी केशवानंद व स्वामी योगेंद्रानंद महाराज अस्थि कलश यात्रा में मौजूद लोगों का फूल मालांए पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान मनोज महंत, श्रवण पाण्डे, आचार्य विजय, गोपाल कृष्ण, अनिल जोशी, शुभम ओझा, हरेंद्र उपाध्याय, करूण शर्मा आदि सहित बटुक ब्राह्मण मौजूद रहे।
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