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Sunday, 13 October 2019

निजी आयुष कॉलेजों के खिलाफ छात्रों का आमरण अनशन जारी,शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो करेंगे राज भवन और मुख्यमंत्री आवास का घेराव ! जाने पूरा मामला

* नैनीताल उच्च न्यायालय और विश्वविद्यालय प्रशासन के आदेशों को ना मानने के खिलाफ छात्र पिछले 15 दिन से आंदोलनरत हैं। 
(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबंध निजी आयुष कॉलेजों की मनमानी के विरोध में छात्रों का आमरण अनशन जारी है। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो वह राज भवन और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे।
आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबंध निजी आयुष कॉलेजों द्वारा बढ़ी हुई फीस को लेकर नैनीताल उच्च न्यायालय और विश्वविद्यालय प्रशासन के आदेशों को ना मानने के खिलाफ छात्र पिछले 15 दिन से आंदोलनरत हैं। ज्ञातव्य हो पूर्वर्ती सरकार ने अपने शासनादेश संख्या 2287/2015/88/2006 दिनांक 14 अक्टूबर 2015 को शासनादेश जारी कर असहाय तित आयुर्वेदिक कॉलेजों का शैक्षणिक शुल्क नियामक समिति के अनुमोदन के बिना 80000 से बढ़ाकर 215000 वार्षिक कर दिया था। जिसके विरोध में छात्र ललित मोहन तिवारी आदि ने उच्च न्यायालय नैनीताल में याचिका डब्लू पीएमएस 3433/2016 दायर की थी।  उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए शासनादेश को निरस्त करते हुए फीस 215000 से पूनः 80000 कर दी थी तथा निजी मेडिकल कॉलेजों को बढ़ा हुआ शुल्क वापस करने के आदेश दिए थे।
 इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन ऑफ कंबाइंड एंट्रेंस एग्जामिनेशन ने उच्च न्यायालय के दो जजों की खंडपीठ में चुनौती दी थी। जिस पर खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए दिनांक 9 अक्टूबर 2018 को संबंधित याचिका खारिज कर सिंगल बेंच के निर्णय को सही मानते हुए उसका अनुमोदन किया था। उक्त आदेशों के विरोध कंबाइंड एंट्रेंस एग्जामिनेशन एसोसिएशन ने पुनर्विचार याचिका दायर की जबकि छात्रों और अभिभावकों की तरफ से अवमानना याचिका दायर की गई जिस पर उच्च न्यायालय के माननीय न्यायधीश मनोज तिवारी ने दिनांक 23 सितंबर 2019 को एक अंतरिम आदेश निर्गत किया कि रिव्यू याचिका के चलते खंडपीठ के आदेशों को नहीं छोड़ा जा सकता और इस याचिका का खंडपीठ के आदेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है इसी आदेश में माननीय न्यायमूर्ति ने विपक्षी को यह भी आदेशित किया कि वे बढ़ी हुई फीस नहीं लेंगे ना ही छात्रों पर बढ़ी हुई फीस के लिए दबाव डालेंगे छात्रों को कक्षा में बैठने से नहीं रोकेंगे और परीक्षा फार्म भरने से भी नहीं रोकेंगे।
बावजूद इसके निजी आयुष कॉलेजों द्वारा छात्रों पर बढ़ी हुई फीस के लिए दबाव बनाया जा रहा है तथा उन्हें बैक परीक्षा फार्म भी नहीं भरने दिया जा रहा। जिसके विरोध में छात्रों ने 1 अक्टूबर 2019 से विश्वविद्यालय गेट पर धरना शुरू कर दिया। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 5 अक्टूबर को एक त्रिपक्षीय वार्ता बुलाई गई। जिसमें सभी निजी मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रबंधक छात्रों अभिभावकों को बुलाया गया था इस त्रिपक्षीय वार्ता में केवल पांच कालेजों के प्रतिनिधि ही पहुंचे ।उन्होंने भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर सुनील जोशी ने शासन को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करते हुए निजी मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ कार्यवाही हेतु लिखा लेकिन शासन की ओर से भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और मेडिकल कॉलेजों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है ।
निजी मेडिकल कॉलेजों विश्वविद्यालय और शासन के बीच की रस्साकशी में फंसे छात्रों ने न्याय ना मिलने पर 10 अक्टूबर से परेड ग्राउंड के धरना स्थल पर भूख हड़ताल शुरू कर दी और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो वह आमरण अनशन शुरू कर देंगे। लेकिन शासन स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसके बाद छात्रों ने कल से आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया है। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर अभी भी कोई कार्यवाही नहीं होती तो वह शीघ्र ही राज भवन और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे। आरोप है कि केंद्र सरकार के मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक राज्य सरकार के आयुष मंत्री हरक सिंह रावत और पतंजलि योग टूट के बाबा रामदेव के निजी मेडिकल कॉलेज होने के चलते सरकार इस संबंध में दबाव में हैं और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ होता देख रही है, जिसे लेकर छात्रों अभिभावकों में भारी रोष व्याप्त है।
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