* धरना स्थल पर आयुर्वेदिक छात्रों से मिले किशोर उपाध्याय
देहरादून। उत्तराखण्ड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय परेड ग्राउण्ड में धरने पर बैठे आयुर्वेदिक छात्र-छात्राओं से मिले। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में उन्होने हरक सिंह रावत से बात की थी। जिसकेे बाद उन्होंने समाधान का आश्वासन दिया है और मोहित उनियाल को सेतु के रूप में कार्य करने हेतु कहा है। आशा है समाधान जल्द निकाला जायेगा, क्योंकि हरक सिंह रावत स्वयं छात्र नेता रहे हैं।
ज्ञातव्य हो पूर्ववर्ती सरकार ने अपने शासनादेश संख्या 2287/2015/88/2006 दिनांक 14 अक्टूबर 2015 को शासनादेश जारी कर असहाय तित आयुर्वेदिक कॉलेजों का शैक्षणिक शुल्क नियामक समिति के अनुमोदन के बिना घ्80000 से बढ़ाकर 215000 वार्षिक कर दिया था जिसके विरोध में छात्र ललित मोहन तिवारी आदि ने उच्च न्यायालय नैनीताल में याचिका डब्लू पीएमएस 3433/2016 दायर की थी ।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए शासनादेश को निरस्त करते हुए फीस घ्215000 से पूनरूघ्80000 कर दी थी तथा निजी मेडिकल कॉलेजों को बढ़ा हुआ शुल्क वापस करने के आदेश दिए थे इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन ऑफ कंबाइंड एंट्रेंस एग्जामिनेशन ने उच्च न्यायालय के दो जजों की खंडपीठ में चुनौती दी थी जिस पर खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए दिनांक 9 अक्टूबर 2018 को संबंधित याचिका खारिज कर सिंगल बेंच के निर्णय को सही मानते हुए उसका अनुमोदन किया था।
उक्त आदेशों के विरोध कंबाइंड एंट्रेंस एग्जामिनेशन एसोसिएशन ने पुनर्विचार याचिका दायर की जबकि छात्रों और अभिभावकों की तरफ से अवमानना याचिका दायर की गई जिस पर उच्च न्यायालय के माननीय न्यायधीश मनोज तिवारी ने दिनांक 23 सितंबर 2019 को एक अंतरिम आदेश निर्गत किया कि रिव्यू याचिका के चलते खंडपीठ के आदेशों को नहीं छोड़ा जा सकता और इस याचिका का खंडपीठ के आदेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है इसी आदेश में न्यायमूर्ति ने विपक्षी को यह भी आदेशित किया कि वे बढ़ी हुई फीस नहीं लेंगे ना ही छात्रों पर बढ़ी हुई फीस के लिए दबाव डालेंगे छात्रों को कक्षा में बैठने से नहीं रोकेंगे और परीक्षा फार्म भरने से भी नहीं रोकेंगे।
बावजूद इसके निजी आयुष कॉलेजों द्वारा छात्रों पर बढ़ी हुई फीस के लिए दबाव बनाया जा रहा है तथा उन्हें बैक परीक्षा फार्म भी नहीं भरने दिया जा रहा। जिसके विरोध में छात्रों ने 1 अक्टूबर 2019 से विश्वविद्यालय गेट पर धरना शुरू कर दिया। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 5 अक्टूबर को एक त्रिपक्षीय वार्ता बुलाई गई। जिसमें सभी निजी मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रबंधक छात्रों अभिभावकों को बुलाया गया था इस त्रिपक्षीय वार्ता में केवल पांच कालेजों के प्रतिनिधि ही पहुंचे ।
उन्होंने भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर सुनील जोशी ने शासन को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करते हुए निजी मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ कार्यवाही हेतु लिखा लेकिन शासन की ओर से भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और मेडिकल कॉलेजों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है ।
निजी मेडिकल कॉलेजों विश्वविद्यालय और शासन के बीच की रस्साकशी में फंसे छात्रों ने न्याय ना मिलने पर 10 अक्टूबर से परेड ग्राउंड के धरना स्थल पर भूख हड़ताल शुरू कर दी और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो वह आमरण अनशन शुरू कर देंगे। लेकिन शासन स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसके बाद छात्रों ने कल से आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया है ।
छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर अभी भी कोई कार्यवाही नहीं होती तो वह शीघ्र ही राज भवन और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे। आरोप है कि केंद्र सरकार के मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक राज्य सरकार के आयुष मंत्री हरक सिंह रावत और पतंजलि योग पीठ के बाबा रामदेव के निजी मेडिकल कॉलेज होने के चलते सरकार इस संबंध में दबाव में हैं और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ होता देख रहा है, जिसे लेकर छात्रों अभिभावकों में भारी रोष व्याप्त है। इस अवसर किशोर
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