* किसी भी पतंजलि स्टोर से करे निःशुल्क प्राप्त डेंगू के औषधि
* डेंगू अब महामारी बन कर नहीं रह पायेगा।
* डेंगू अब महामारी बन कर नहीं रह पायेगा।
हरिद्वार। डेंगू आज बीमारी नहीं अपितु महामारी का रूप ले चुकी है। इस वर्ष डेंगू के कारण समाज में भयानक स्थिति पैदा हो गई। इसलिए पतंजलि गहन अनुसंधान से निर्मित औषधि से अब होगा भारत डेंगू मुक्त। पातंजलि योग पीठ महामन्त्री और आर्युवेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने पत्रकार वार्ता में दावा किया।
उन्होंने कहा कि डेगू एक विषाणुजनिक संक्रमित तीव्र ज्वर है,इसका संक्रमण मादा इंडीज इजिप्टाई मच्छर के कटाने से होता है। उन्होंने कहा कि इसमें मरीजों को तेज बुखार ,शरीर में दर्द ,चकत्ते और लम्बे समय तक कमजोरी होती है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि अब किसी को भी डेंगू से डरने की आवश्कता नहीं है क्योकि पतञ्जलि ने डेंगू से निपटने के लिए "डेंगुनिल वटी "नाम से दवा निजात की है। उन्होंने यह भी कहा को यह औषधि हर डेंगू मरीज़ को पतंजलि स्टोर निःशुल्क उपलब्ध कराएगा ,बसर्ते उस व्यक्ति को अपनी डेंगू की जाँच रिपोर्ट लेकर एक बार पतञ्जलि औषधि भण्डार पर आना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि पतञ्जलि अनुसंधान संस्थान में पूर्व - नैदानिक अध्ययनों से पता चला है कि पतंजलि निर्मित
"डेंगुनिल वटी "उपचारात्मक प्रयोग से डेंगू विषाणु जनिक विकारो को रोकती है। उन्होंने बताया कि
"डेंगुनिल वटी "की डिबिया में कुल 60 टिकिया है ,जिनमे डेंगू पीड़ित व्यक्ति 2 गोली सुबह ,दो गोली दोपहर और 2 गोली शाम को इस्तेमाल कर है।
आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया कि अब भारत में डेंगू से किसी की भी मृत्यु नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अब किसी को भी डेंगू डरने की आवश्कता नहीं है। डेंगू अब महामारी बन कर नहीं रह पायेगा।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि डेंगू जैसी महामारी अब सिर्फ और सिर्फ 70 रुपये में ठीक होगी। उन्होंने कहा कि डेंगू से पीड़ित मरीज पतंजलि निर्मित
"डेंगुनिल वटी " को भारत के किसी भी पतञ्जलि स्टोर से निःशुल्क प्राप्त कर सकता है परन्तु उसके लिए आवश्यक है कि मरीज को डेंगू पॉजिटिव रिपोर्ट को अपने साथ लाना पड़ेगा।
इस अवसर पर उन्होंने इसमें ,मिलाई जाने वाली जड़ी बूटियों को दिखाया जोकि बिलकुल ही मामूली है जो आपके हम सबके आस -पास आसानी से उपलब्ध भी है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार गिलोय , पपीता पत्ती ,तुलसी और ग्वारपाठा को मिला कर पतञ्जलि ने डेंगू की औषधि "डेंगुनिल वटी " को बनाया है। जोकि वैज्ञानिको के सफल परिक्षण के उपरांत ही संभव हो पाया है।
इस अवसर पर उन्होंने इसमें ,मिलाई जाने वाली जड़ी बूटियों को दिखाया जोकि बिलकुल ही मामूली है जो आपके हम सबके आस -पास आसानी से उपलब्ध भी है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार गिलोय , पपीता पत्ती ,तुलसी और ग्वारपाठा को मिला कर पतञ्जलि ने डेंगू की औषधि "डेंगुनिल वटी " को बनाया है। जोकि वैज्ञानिको के सफल परिक्षण के उपरांत ही संभव हो पाया है।
उन्होंने दावा किया कि इस औषधि से पुरे भारत के चिकित्सालयों के 1857 डेंगू के रोगियों में "डेंगुनिल वटी " के प्रयोग से चिकित्सीय लाभ ले चुके है।
आचार्य बालकृष्ण ने प्रेस वार्ता के समय कुछ मरीजों को भी दिखाया जो कि
"डेंगुनिल वटी " के प्रयोग ठीक हो चुके है।
उन्होंने कहा कि अधिकांश रोगियों को
"डेंगुनिल वटी "
(2 गोली दिन मर तीन बार ) के साथ 3 दिन के बाद ही नैदानिक लाभ मिलना शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं उपचार के 10 वे दिन तक लक्षणों का सम्पूर्ण नियमन भी हो जाता है।
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